पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया है। उनके पक्ष में अब भाजपा के पूर्व राज्य प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि यह टीएमसी की राजनीति है। उन्होंने कहा कि टीएमसी कितना नीचे गिर गई है कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों का अपमान करने लगी है।
कोलकाता में राजभवन की एक कर्मचारी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने उसका यौन उत्पीड़न किया है। महिला ने कोलकाता की हेयर स्ट्रीट पुलिस से संपर्क कर बंगाल के राज्यपाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। अब इस पर भाजपा के नेता राज्यपाल के पक्ष में आए हैं। भाजपा के दिलीप घोष ने कहा कि “यह कोई नई बात नहीं है। यह टीएमसी की राजनीति है। मुझे नहीं पता कि वे कितना नीचे गिरेंगे। टीएमसी राष्ट्रपति, पीएम, गृह मंत्री, अब राज्यपाल और यहां तक कि हमारे राज्य में एक महिला न्यायाधीश के पति का भी अपमान करने में व्यस्त है। यह उनकी राजनीति का तरीका है। अब उनके जाने का समय आ गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि बंगाल में लोग ममता बनर्जी की सरकार से आजादी चाहते हैं।
आरोप के बाद बंगाल के राज्यपाल ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कोलकाता, दार्जिलिंग और बैरकपुर के राजभवन परिसर में पुलिस और वित्त राज्यमंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। उन्होंने कहा , “राज्यपाल के खिलाफ मानहानि और संविधान विरोधी मीडिया बयानों के लिए, कनिष्ठ राज्यपाल नियुक्त वित्त विभाग की राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) चंद्रिमा भट्टाचार्य को कोलकाता, दार्जिलिंग और बैरकपुर के राजभवन परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि वह मंत्री की उपस्थिति वाले किसी भी समारोह में भाग नहीं लेंगे। साथ ही मंत्री के खिलाफ आगे के कानूनी कदमों पर सलाह के लिए भारत के अटॉर्नी जनरल से संपर्क किया है।
वहीं तृणमूल कांग्रेस नेता शशि पांजा ने कहा कि राज्यपाल ने “उनके पद और उनकी कुर्सी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है”। “हम पूरी तरह से स्तब्ध हैं। वही राज्यपाल जो महिलाओं के अधिकारों के बारे में बात करते हुए संदेशखाली पहुंचे थे, अब एक शर्मनाक घटना में शामिल हैं। पीड़िता राजभवन में एक स्टाफ सदस्य है।”