सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वर्ष 2021 में राष्ट्रीय राजधानी में धार्मिक सभा में दिए गए नफरती भाषणों के मामले की जांच में अब तक कोई स्पष्ट प्रगति नहीं होने और प्राथमिकी दर्ज करने में देरी को लेकर दिल्ली पुलिस से कई सवाल किए। साथ ही शीर्ष अदालत ने जांच अधिकारी से दो हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा है।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि जांच के मामले में आप क्या कर रहे हैं? घटना 19 दिसंबर 2021 को हुई थी और एफआईआर पांच महीने बाद चार मई, 2022 को दर्ज की गई। आपको एफआईआर दर्ज करने के लिए पांच महीने क्यों लगे? सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से पूछा कि आपने अब तक क्या किया है? कितनी गिरफ्तारियां हुई हैं? आपने कितने लोगों से जांच-पड़ताल की है?
इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने तहसीन पूनावाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कोई अवमानना नहीं की है, जिसमें घृणा अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए कई दिशा-निर्देश दिए गए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी यह निर्देश नहीं दे सकते हैं कि जांच एजेंसी को कैसे कार्य करना चाहिए। इसके बाद अदालत ने प्राथमिकी दर्ज करने में देरी पर सवाल उठाया और जांच के संबंध में कई सवाल पूछे। शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि क्या कोई गिरफ्तारी हुई है? कितने गवाहों से पूछताछ की गई है?
हम जांच में प्रगति देखना चाहते हैं…
गांधी के वकील शादान फरासत ने शुरू में कहा कि हम दिल्ली के पुलिस आयुक्त के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई नहीं चाहते हैं और जांच में प्रगति देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मामले में एफआईआर दर्ज करने की जरूरत थी। पांच महीने तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई। दिल्ली पुलिस ने अपने जवाब में कहा है कि जांच चल रही है। पुलिस ने यह नहीं कहा कि उन्होंने पूछताछ के लिए किसी को बुलाया है। उन्होंने किसी को गिरफ्तार नहीं किया है। कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है।
इसके बाद पीठ ने तुषार गांधी की दलीलों पर गौर किया कि जांच में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है और दो सप्ताह के भीतर जांच अधिकारी (IO) से रिपोर्ट तलब की। सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी ने उत्तराखंड और दिल्ली पुलिस पर घृणा अपराध के मामलों में निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दायर की है, जिस पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही थी।