नौकरीपेशा लोगों के लिए एक बुरी खबर है, अगर यह खबर सच है, जिसकी उम्मीद ज़्यादा है तो केंद्र सरकार आपकी टेक होम सैलरी पर कैंची चलाने वाली है.
दरअसल, केंद्र सरकार चारों श्रम कानूनों को लागू करने जा रही है. अगले वित्त वर्ष तक इसे लागू होने की संभावना है. इस कानून को लागू होते ही आपके टेक होम सैलरी और पीएफ स्ट्रक्चर में बदलाव हो जाएगा. जिससे आपकी टेक होम सैलरी घट जाएगी. जानकारी के मुताबिक कम से कम 13 राज्यों ने इन कानूनों के मसौदा नियमों को तैयार कर लिया है.
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बता दें, केंद्र ने इन संहिताओं के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया है और अब राज्यों को अपनी ओर से नियम बनाने हैं, क्योंकि श्रम समवर्ती सूची का विषय है. केंद्र ने फरवरी 2021 में इन संहिताओं के मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पूरी कर ली थी, लेकिन चूंकि श्रम एक समवर्ती विषय है, इसलिए केंद्र चाहता है कि राज्य भी इसे एक साथ लागू करें.
दरअसल नए कानून से कर्मचारियों के मूल वेतन (बेसिक) और भविष्य निधि की गणना के तरीके में उल्लेखनीय बदलाव आएगा. नई वेतन संहिता के तहत भत्तों को 50 फीसद पर सीमित रखा जाएगा. इसका मतलब है कि कर्मचारियों के कुल वेतन का 50 फीसदी मूल वेतन होगा.
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केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस सप्ताह की शुरुआत में राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति पर श्रम संहिता के मसौदा नियमों को कम से कम 13 राज्य तैयार कर चुके हैं. इसके अलावा 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने मजदूरी पर श्रम संहिता के मसौदा नियमों को तैयार किया है. औद्योगिक संबंध संहिता के मसौदा नियमों को 20 राज्यों ने और सामाजिक सुरक्षा संहिता के मसौदा नियमों को 18 राज्यों ने तैयार कर लिया है.
किसी कर्मचारी की Cost To Company (CTC) में तीन से चार कंपोनेंट होते हैं. बेसिक सैलरी, हाउस रेंट अलाउंस (HRA), रिटायरमेंट बेनेफिट्स जैसे PF, ग्रेच्युटी और पेंशन और टैक्स बचाने वाले भत्ते जैसे- LTA और एंटरटेनमेंट अलाउंस. अब नए वेज कोड में ये तय हुआ है कि भत्ते कुल सैलरी से किसी भी कीमत पर 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकते. ऐसे में अगर किसी कर्मचारी की सैलरी 40,000 रुपये महीना है तो उसकी बेसिक सैलरी 20,000 रुपये होनी चाहिए और बाकी के 20,000 रुपये में उसके भत्ते आने चाहिए.
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नए वेज कोड में कई ऐसे प्रावधान दिए गए हैं, जिससे ऑफिस में काम करने वाले सैलरीड क्लास, मिलों और फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों तक पर असर पड़ेगा. कर्मचारियों की सैलरी से लेकर उनकी छुट्टियां और काम के घंटे भी बदल जाएंगे. नए वेज कोड के तहत काम के घंटे बढ़कर 12 हो जाएंगे. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने बताया कि प्रस्तावित लेबर कोड में कहा गया है कि हफ्ते में 48 घंटे कामकाज का नियम ही लागू रहेगा.
दरअसल कुछ यूनियन ने 12 घंटे काम और 3 दिन की छुट्टी के नियम पर सवाल उठाए थे. सरकार ने इस पर अपनी सफाई में कहा कि हफ्ते में 48 घंटे काम का ही नियम रहेगा, अगर कोई दिन में 8 घंटे काम करता है तो उसे हफ्ते में 6 दिन काम करना होगा और एक दिन की छुट्टी मिलेगी.