सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (डीडीए) के उपाध्यक्ष सुभाशीश पांडा के खिलाफ आपराधिक अवमानना नोटिस जारी किया है। पांडा पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली के रिज क्षेत्र में छतरपुर से सार्क विश्वविद्यालय तक सड़क बनवाने के लिए पेड़ों को काटने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की पीठ ने पांडा को भ्रामक हलफनामा देने और गलत तथ्यों को पेश करने पर नाराजगी जताई है। अदालत ने आदेश दिया कि हर एक काटे गए पेड़ की जगह 100 नए पेड़ लगाए जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए अपाध्यक्ष ने हलफनामे पर कड़ी अस्वीकृति जताई, जिसमें कहा गया था कि उनकी जानकारी के बिना 642 पेड़ों को काटा गया। अदालत ने यह भी कहा है कि अब डीडीए पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को असम के हिरासत केंद्रों में रखे गए 17 विदेशी नागरिकों को रिहा करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा है कि विदेशी नागरिकों के खिलाफ कोई अपराध दर्ज नहीं है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की पीठ ने मामले की सुनवाई की। अदालत में राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि असम में 17 विदेशी नागरिकों को हिरासत में रखा गया है। पीठ ने कहा कि भारत को जल्द से जल्द 17 विदेशी नागरिकों को रिहा करने के लिए कदम उठाने चाहिए क्योंकि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामले दर्ज नहीं हैं।
विदेशी नागरिकों की हालत खराब हो रही है- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई विदेशी नागरिक वर्षों से हिरासत केंद्रों में बंद हैं और उनकी हालत खराब हो रही है। अदालत ने अप्रैल में राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण से दो वर्ष से हिरासत में लिए गए विदेशियों के बारे में जानकारी देने को कहा था। उस दौरान पीठ ने प्राधिकरण को हिरासत केंद्रों में जाने और विदेशी नागरिकों को दी जाने वाले सुविधाओं की जानकारी लेने के लिए एक टीम का गठन करने का निर्देश दिया था। दरअसल कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई हो रही थी। याचिका में उन विदेशी नागरिकों को रिहा करने की मांग की गई थी, जो दो वर्षों से अधिक समय से असम के हिरासत केंद्रों में बंद हैं।