अखिल भारतीय चिकित्सा महासंघ (एफएआईएमए) ने रविवार को पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों की हड़ताल के साथ एकजुटता दिखाई और सोमवार को देशभर के अस्पतालों में वैकल्पिक सेवाओं को बंद करने का आह्वान किया। एफएआईएमए देशभर के रेजीडेंट डॉक्टरों के संघों (आरडीए) का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है। संगठन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि यह फैसला एफएआईएमए की शनिवार को हुई बैठक के बाद लिया गया। हालांकि, इस संगठन ने सभी रेजीडेंट डॉक्टरों के संघों से अनुरोध किया है कि वे आपातकाली सेवाओं को चौबीस घंटे चालू रखें। एफएआईएमए ने कहा कि वे पश्चिम बंगाल के जूनियर डॉक्टरों के साथ पूरी एकजुटता के साथ खड़े हैं।
एफएआईएमए ने एक खुले पत्र में कहा, विस्तृत चर्चा के बाद हमने सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि अब राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होना जरूरी है। हमने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को पहले पत्र में अल्टीमेटम दिया था। लेकिन संतोषजनक कार्रवाई नहीं की गई है। जिससे हमें यह अनुरोध करना पड़ा कि सभी रेजीडेंट डॉक्टरों के संघ और चिकित्सा संघ इस हड़ताल में हमारे साथ शामिल हों।
यह खुला पत्र राष्ट्रीय चिकित्सा संघों, राज्य के रेजीडेंट डॉक्टरों के संघों और विभिन्न महाविद्यालयों तथा राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के रेजीडेंट डॉक्टरों को संबोधित है। पत्र में कहा गया, हालांकि हम सभी रेजीडेंट डॉक्टरों के संघों और संघों से अनुरोध करते हैं कि वे आपातकाली सुविधाओं को 24×7 चालू रखें, ताकि जिन्हें हमारी तत्काल सेवा की जरूरत है, वे परेशान न हों।
जूनियर डॉक्टर पांच अक्तूबर से अनशन पर हैं, जो आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की महिला डॉक्टर के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, ये जूनियर डॉक्टर अन्य मुद्दों को भी उठा रहे हैं। अनशन के कारण सेहत बिगड़ने पर तीन डॉक्टरों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
तीस जानी-मानी हस्तियों ने मुख्यमंत्री को लिखा खुला पत्र
वहीं, कई जानी-मानी हस्तियों ने आज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आग्रह किया कि वह इस गतिरोध को खत्म करने केलिए जूनियर डॉक्टरों की मांगों पर ध्यान दें और हरसंभव कदम उठाएं। इन हस्तियों ने अनशन कर रहे जूनियर डॉक्टरों से भी आग्रह किया कि वे नागरिक समाज की पहल पर भरोसा रखें और अपना आमरण अनशन वापस ले लें।
फिल्म निर्माता अपर्णा सेन, अभिनेता रिद्धि सेन और कौशिक सेन, फिल्म निर्माता श्रीजीत मुखर्जी, कमलेश मुखर्जी, सामाजिक कार्यकर्ता बोलन गंगोपाध्याय और अन्य सहित तीस हस्तियों ने मुख्यमंत्री को एक खुला पत्र लिखा। इन हस्तियों ने कहा कि जूनियर डॉक्टरों की अधिकांश वास्तविक मांगों को स्वीकार करने के बावजूद उनकी मांगों के प्रभावी क्रियान्वयन पर अनिश्चितता ने उन्हें भूख हड़ताल के लिए मजबूर किया है और उनकी स्वास्थ्य स्थिति खराब हो रही है।