यूरो सोमवार को डॉलर के मुक़ाबले 0.7 फ़ीसदी गिरकर 98.8 पर पहुंच गया। 2002 के बाद यूरोप की करंसी में यह सबसे बड़ी गिरावट है।
साल की शुरुआत से ही यूरो में काफ़ी गिरावट देखी जा रही थी। यूरो लगातार डॉलर के मुक़ाबले कमज़ोर होता जा रहा था। इस साल की शुरुआत में डॉलर के मुक़ाबले यूरो का भाव 1.14 के क़रीब था, जो अब गिरकर 0.99 पर आ गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध इस गिरावट का मुख्य कारण है। शनिवार को ही रूस ने जवाबी क़दम उठाते हुए जर्मनी को जाने वाली नॉर्ड स्ट्रीम 01 पाइपलाइन के ज़रिए होने वाली गैस की आपूर्ति अनिश्चित काल के लिए बंद करने का एलान किया था। जिसके बाद पहले से ही ख़स्ता हाल यूरो डॉलर के मुक़ाबले में तेज़ी से गिरने लगा।
इस साल फ़रवरी में जब से रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू हुई है, यूरोप में तेज़ी से महंगाई बढ़ रही है और इस ग्रीन महाद्वीप को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ रहा है। रूस द्वारा गैस सप्लाई में कटौती से यूरोप वासियों के लिए सर्दियों का मौसम और अधिक कठोर और लम्बा हो जाएगा।
नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन के बंद होने के चलते यूरो और यूरोपियन स्टॉक फ्यूचर्स में गिरावट देखने को मिल रही है। सोमवार को यूरोपीय संघ के देशों की कॉमन करेंसी यूरो 0.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई तो वहीं यूरो स्टॉक्स फ्यूचर्स भी 3.3 फीसदी लुढ़क गया।
नेशनल ऑस्ट्रेलिया बैंक के मुद्रा रणनीतिकार रोड्रिगो कैटरिल का कहना है कि रूस ने यूरोप को गैस सप्लाई में अनिश्चित समय के लिए कटौती का ऐलान किया है, जिसके चलते यूरो में आगे भी गिरावट हो सकती है। गैस नहीं मिलने का मतलब है कि ग्रोथ नहीं होगी और यूरोपियन सेंट्रल बैंक सख्त रूख़ अपना सकता है। यूरोपियन सेंट्रल बैंक पर बढ़ती महंगाई के चलते मौद्रिक नीतियों को सख्त करने का दबाव बना हुआ है।
गोल्डमैन सॉक्सग्रुप के विश्लेषकों का आकलन है कि अगले तीन महीनों में यूरो का मूल्य 99 सेंट् से 97 सेंट तक आ सकता है। यह रिपोर्ट शुक्रवार को जारी हुई थी यानी कि राहत पैकेजों के ऐलान से पहले। रविवार को जर्मनी ने 6500 करोड़ यूरो का ऐलान किया था, जबकि फ़िनलैंडलैं ने पॉवर मार्केट को स्थिर रखने के लिए 2300 करोड़ डॉलर और स्वीडन ने शनिवार को अपनी यूटिलिटीज़ के इमरजेंसी बैकस्टॉप के लिए 2300 करोड़ डॉलर के पैकेज का ऐलान किया था।