पूर्वी लद्दाख में सीमा पर अपनी हरकतों से परेशान करने वाले ड्रैगन लगाम कसने के लिए भारतीय सेना ने पुख्ता इंतजाम कर लिया है। अभी तक एलएसी पर चीन की सेना द्वारा निर्माण की बातें सामने आती रही हैं। अब भारतीय सेना ने ईंट का जवाब पत्थर से देने की रणनीति पर काम करते हुए सीमा के इस पार भी निर्माण कार्य किया है। सेना के मुताबिक पहली बार यहां पर 3डी प्रिंटेड निर्माण किया गया है। इसके तहत कुछ ठिकाने बनाए गए हैं, जहां 450 टैंक रखे जा सकते हैं। इसके अलावा 22,000 सैनिक यहां पर रुक सकते हैं। रक्षा सूत्रों के मुताबिक यह निर्माण पूर्वी लद्दाख सेक्टर में ठीक चीनी सीमा के सामने किए गए हैं।
सभी तरह के गोली-बारूद से सुरक्षित
भारतीय सेना के इंजीनियर इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने इसके बारे में अहम जानकारियां दी। इसके मुताबिक भारतीय सेना के इंजीनियरों द्वारा पहली बार डिजर्ट सेक्टर में इस तरह का निर्माण किया गया है। उन्होंने बताया कि इन निर्माणों का विभिन्न तरह के हथियारों के सामने टेस्ट किया गया है। छोटी बंदूकों से लेकर टी90 टैंक की मेन बंदूकें भी इन निर्माणों के सामने बेअसर हैं। साथ ही किसी तरह के विस्फोटों का भी इनके ऊपर कोई असर नहीं होने वाला है। इससे भी खास बात यह है कि 36 से 48 घंटों के भीतर इन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। हरपाल सिंह ने बताया कि इन निर्माणों को पूर्वी लद्दाख सीमा पर भी बेहद कारगर पाया गया है।
पैंगांग झील पर भी होगी निगरानी
सूत्रों का कहना है कि भारत और चीन में पड़ने वाली पैंगांग झील पर ड्रैगन अक्सर उकसाने वाली गतिविधियां करता है। इसको देखते हु्ए भारतीय सेना की इंजीनियरिंग कोर ने एक नया लैंडिंग विमान तैयार किया है। इससे गश्त में तो फायदा मिलेगा ही, जवानों के साथ गोला-बारूद भी रखा जा सकता है। यह खतरनाक यान एक बार में 35 सैनिकों को अपने साथ लेकर जा सकता है। इसके अलावा चीन सीमा के किनारे बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन द्वारा सड़क निर्माण की गई है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक फिलहाल 9 टनल बन चुकी हैं। इनमें 2.535 किमी लंबी सेला टनल भी शामिल है, जो कंप्लीट होने के बाद दुनिया की सबसे ऊंची बाई-लेन टनल होगी। साथ ही 11 अन्य टनल भी बनाने की योजना है।