जेल सुधारों के क्रम में केंद्र सरकार नए कारावास अधिनियम पर काम कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय इसका मसौदा भी तैयार करा रहा है। इस मसौदे में जेल में बंद कैदियों के पास मोबाइल फोन मिलने पर तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है। इतना ही नहीं, मसौदे में कैदियों को पैरोल और फरलो पर रिहा करने के लिए भी कुछ प्रावधान बनाए गए हैं।
मसौदे के मुताबिक, ट्रैकिंग डिवाइस पहनने पर ही कैदियों को पैरोल और फरलो पर रिहा किया जाएगा। ताकि बाहर होने के दौरान उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। इसके अलावा, नशे के आदी कैदियों, पहली बार अपराध करने वालों और ऐसे कैदियों खासकर विदेशियों को अलग-अलग रखने का सुझाव दिया गया है जिन्हें लेकर ज्यादा जोखिम हो सकता है। गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर सोमवार को अपलोड किए गए मसौदे के मुताबिक, निगरानी के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा और प्रतिबंधित वस्तुओं का पता लगाने के लिए किसी भी कैदी की नियमित तलाशी ली जाएगी।
इससे पहले, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने बीती मई में ही सभी राज्यों को केंद्रशासित प्रदेशों को भेजे गए पत्र में बताया था कि मंत्रालय ने कारावास अधिनियम में बदलाव के लिए एक प्रगतिशील और व्यापक आदर्श कारागार अधिनियम, 2023 को अंतिम रूप दिया है। उन्होंने कहा था कि गृह मंत्रालय ने ‘कारागार अधिनियम, 1894’ के साथ-साथ ‘कैदी अधिनियम, 1900’ और ‘कैदियों का स्थानांतरण अधिनियम, 1950’ की भी समीक्षा की है और इन अधिनियमों के प्रासंगिक प्रावधानों को भी ‘मॉडल जेल अधिनियम, 2023’ में शामिल किया है।
मंत्रालय ने कहा, आदर्श कारागार अधिनियम, 2023 का उद्देश्य जेल प्रबंधन में सुधार करना और कैदियों को कानून का पालन करने वाले नागरिकों में बदलना और समाज में उनका पुनर्वास सुनिश्चित करना है। नया कारागार अधिनियम महिलाओं और ट्रांसजेंडर कैदियों की सुरक्षा पर अधिक जोर देगा और जेल प्रबंधन में पारदर्शिता लाएगा और कैदियों के सुधार और पुनर्वास के लिए प्रदान करेगा। नया अधिनियम कैदियों के व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास और समाज में उनके पुनर्मिलन पर ध्यान केन्द्रित करेगा।