तीस्ता सीतलवाड़ और दो अन्य के खिलाफ विशेष जांच दल (SIT) ने अहमदाबाद की कोर्ट में चार्जशीट फाइल की है। चार्जशीट में तीस्ता पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इसमें कहा गयाहै कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने की गहरी साजिश रची गई थी। इसमें तीस्ता के अलावा पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार शामिल थे। ये तीनों ही चाहते थे कि नरेंद्र मोदी को जेल हो। अहमदाबाद सेशन कोर्ट में एसआईटी ने 100 पन्नों का आरोपपत्र दायर किया है।
मौत की सजा दिलाने के लिए झूठे सबूत
आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 194 (मौत की सजा दिलाने के लिए दोषसिद्धि के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना) और 218 (लोक सेवक द्वारा लोगों को सजा से बचाने के इरादे से गलत जानकारी दर्ज करना) समेत अन्य प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं। आरोप लगाए गए हैं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री को फंसाने के लिए वकीलों की फौज को काम पर लगाया गया था। फर्जी दस्तावेज बनाए गए और काल्पनिक कहानियों पर पीड़ितों के साइन कराए गए। जो लोग तीस्ता का साथ देने को तैयार नहीं होते थे उन्हें धमकाया भी जाता था। पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार ने भी एक गवाह को धमकी दी थी।
चार्जशीट में कहा गया है कि तीस्ता कांग्रेस के साथ मिलकर काम करती थी और राहत शिविरों में जाकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश करती थीं । वह पीड़ितों को मामला राज्य से बाहर की कोर्ट में ले जाने के लिए उकसाती थीं। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि पीड़ितों के नाम पर उन्होंने चंदा इकट्ठा किया। तीस्ता और संजीव भट्ट आपस में संपर्क में थे। वे चाहते थे कि तत्कालीन मुख्यमंत्री की राजनीतिक पारी खत्म कर दी जाए।
जून के अंतिम सप्ताह में गिरफ्तार सीतलवाड़ को उच्चतम न्यायालय के दो सितंबर के आदेश के बाद अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया था। वहीं, श्रीकुमार इस मामले में जेल में बंद हैं जबकि तीसरा आरोपी भट्ट पालनपुर की जेल में है, जहां वह हिरासत में मौत के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है।
पूर्व आईपीएस को बनाया गया गवाह
जांच अधिकारी एवं सहायक पुलिस आयुक्त बी.वी. सोलंकी ने कहा कि यहां मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया गया। उन्होंने बताया कि पूर्व आईपीएस अधिकारी से वकील बने राहुल शर्मा को भी इस मामले में गवाह बनाया गया है।