पैसे के बदले संसद में सवाल के मामले में घिरी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा भाजपा के निशाने पर हैं। इस बीच, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने रविवार को कहा कि वह 24 अक्तूबर को दशहरा तक संघर्ष विराम का पालन करेंगे।
टीएमसी सांसद के खिलाफ आरोपों के संबंध में अपने बयान दर्ज कराने के लिए दुबे को 26 अक्तूबर को लोकसभा की आचार समिति के समक्ष पेश होना है। उन्होंने आरोप लगाया है कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से लाभ लिया था।
मोइत्रा अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करती रही हैं। उनका दावा है कि भाजपा अदाणी समूह के इशारे पर उन्हें निशाना बना रही है। अदाणी समूह संसद के भीतर और बाहर उनके हमलों के केंद्र में रहा है। वहीं, मोइत्रा के खिलाफ लोकपाल में शिकायत दर्ज कराने कए एक दिन बाद दुबे ने कहा, ‘दुर्गा पूजा के शुभ अवसर के कारण मैं आज अष्टमी से 24 अक्तूबर को दशमी तक अपनी तरफ से संघर्ष विराम का आह्वान करता हूं।’
दुबे और वकील जय अनंत देहादराई के आरोपों के बाद मोइत्रा ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर भाजपा सांसद पर मानहानि का आरोप लगाया था। दुबे की शिकायत को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद की आचार समिति के पास भेज दिया है।
हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी ने हाल ही में एक हस्ताक्षरित हलफनामे में दावा किया था कि उन्होंने बदनामऔर शर्मिंदा करने के लिए गौतम अदाणी औक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लक्षित किया, जिनकी बेदाग प्रतिष्ठा ने विपक्ष को उन पर हमला करने का कोई मौका नहीं दिया।
हालांकि, मोइत्रा ने हीरानंदानी के हलफनामे की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि इसे ‘पीएमओ ने तैयार किया है’ और अपने परिवार के कारोबार को ‘पूरी तरह से बंद’ करने की ‘धमकी’ मिलने के बाद उन्हें इस पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। तृणमूल कांग्रेस ने रविवार को कहा कि संसदीय आचार समिति की जांच पूरी होने के बाद पार्टी इस मामले पर फैसला करेगी।
वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने रविवार को कहा, सांसद महुआ मोइत्रा ने उठाए गए सवालों के लिए रिश्वत के आरोपों पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया है, इसलिए पार्टी अब संसदीय आचार समिति की जांच का इंतजार करेगी, क्योंकि यह मामला ‘उनके अधिकारों और विशेषाधिकारों’ से संबंधित है।
टीएमसी ने खुद को इस विवाद से दूर करने की कोशिश की है। राज्यसभा सदस्य ओ ब्रायन ने कहा, ‘संबंधित सदस्य को पार्टी नेतृत्व ने सलाह दी है कि वह अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करें। वह पहले ही ऐसा कर चुकी हैं। हालांकि, यह मामला एक निर्वाचित सांसद, उनके अधिकारों और विशेषाधिकारों से संबंधित है, इसलिए मामले की जांच संसद के सही मंच से होनी चाहिए, जिसके बाद पार्टी नेतृत्व उचित निर्णय लेगा।’