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Friday, November 22, 2024

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नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी ने दी दुनिया के पांचवें महासागर को मान्यता

आखिरकार धरती को पांचवें महासागर की मान्यता मिल ही गई . यह मान्यता नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी ने दी है. पांचवें महासागर का नाम साउदर्न महासागर (Southern Ocean) है. यह अंटार्कटिका में है. इससे पहले धरती पर चार महासागर थे…अंटलांटिक, प्रशांत, हिंद और आर्कटिक महासागर.

पांचवां महासागर यानी साउदर्न ओसन में पानी काफी ठंडा है. क्योंकि यहां पर सिर्फ बर्फीली चट्टानें, हिमखंड और ग्लेशियर हैं. 8 जून को वर्ल्ड ओशन डे पर नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी (NGS) ने इसे पांचवें महासागर की मान्यता दी. NGS के आधिकारिक जियोग्राफर एलेक्स टेट बताते हैं कि बहुत सालों तक वैज्ञानिकों ने साउदर्न ओशन को मान्यता नहीं दे रहे थे, इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी तरह का समझौता नहीं हुआ था. इसलिए इसे हम आधिकारिक तौर पर महासागर की कैटेगरी में नहीं रख पा रहे थे.

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एलेक्स टेट ने कहा कि इसका सबसे बड़ा असर एजुकेशन सेक्टर पर पड़ेगा. स्टूडेंट्स साउदर्न ओशन के बारे में नई जानकारियां हासिल करेंगे. इसे भी सभी देशों में मान्यता मिलेगी. इसे अलग-अलग देशों के भूगोल और विज्ञान की किताबों में शामिल किया जाएगा. इसकी खासियत और मौसम के बारे में पढ़ाया जाएगा. अंटार्कटिका को भी नक्शे में 1915 में शामिल किया गया था. लेकिन NGS ने बाद में चार महासागरों को सीमाओं में बांधा. जिन्हें महाद्वीपों की सीमाओं के आधार पर नाम दिया गया.

लेकिन इसके उलट, साउदर्न ओशन को किसी महाद्वीप के नाम से नहीं बुलाया जाएगा. क्योंकि यह अंटार्कटिक सर्कमपोलर करेंट (ACC) से घिरा हुआ है, जो पश्चिम से पूर्व की तरफ बहता है. वैज्ञानिकों ने बताया कि ACC का निर्माण 3.4 करोड़ साल पहले तब हुआ था, जब दक्षिण अमेरिका से अंटार्कटिका अलग हुआ था. यही पानी दुनिया के बॉटम में बहता रहता है.

आज के समय में ACC का पानी पूरी दुनिया के महासागरों में बहता है. यह पूरे अंटार्कटिका के चारों तरफ घेर कर रखता है. इसे ड्रेक पैसेज (Drake Passage) कहते हैं. यहीं पर स्कोटिया सागर (Scotia Sea) कहते हैं. यह दक्षिण अमेरिका के केप हॉर्न और अंटार्कटिका प्रायद्वीप के बीच में है. इसलिए ACC में जितना पानी बहता है, वह साउदर्न महासागर का ही है. यहां का पानी बाकी महासागरों के पानी से ज्यादा ठंडा और कम नमक वाला है.

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ACC अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागर से पानी खींच कर एक वैश्विक कन्वेयर बेल्ट का काम करता है. यह धरती की गर्मी को कम करता है. इसकी वजह से ठंडा पानी समुद्र की गहराइयों में कार्बन जमा करता है. इसी वजह से हजारों समुद्री प्रजातियां ACC के पानी में रहना पसंद करती हैं. महाद्वीपों के नाम पर ही महासागरों के नाम रखे गए हैं. इन्हें चार हिस्सों में बांटा गया है.

साउदर्न ओशन (Southern Ocean) को सबसे पहले 16वीं सदी में स्पैनिश खोजी वास्को नुनेज डे बालबोआ (Vasco Nunez De Balboa) ने खोजा था. साथ ही इस सागर की अंतरराष्ट्रीय महत्ता को भी बताया था. क्योंकि इसके जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समुद्री व्यापार होता है. खोज होते हैं. 19वीं सदी तक कई देशों ने हाइड्रोग्राफिक अथॉरिटी बनाकर समुद्रों का नक्शा बनाया. साउदर्न ओशन के बारे में 1921 में इंटरनेशनल हाइड्रोग्राफिक ऑर्गेनाइजेशन (IHO) में जिक्र किया गया था.

आइस प्रेस 2015 में छपी किताब साउदर्न ओशनः ओशियानोग्राफर्स पर्सपेक्टिव में कहा गया है कि 1953 तक कोई भी देश इसे महासागर का नाम देने को तैयार नहीं हो रहा था. क्योंकि इसका जस्टिफिकेशन देने के लिए कोई देश तैयार नहीं हो रहा था. द यूएस बोर्ड ऑन जियोग्राफिक नेम्स ने 1999 में इस शब्द का आधिकारिक प्रयोग शुरु कर दिया था. दुनियाभर के वैज्ञानिक इसे साउदर्न ओशन ही बुलाते थे.

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नेशनल ओशियानिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने 1999 में ही साउदर्न ओशन शब्द का उपयोग अपनी रिपोर्ट में करना शुरु किया था. आखिरकार ये ओशन (Ocean) शब्द आया कहां से. इसकी शुरुआत होती है ग्रीस के नदियों के देवता ओशिएनस (Oceanus) के नाम पर. इन्हें यूरेनस और गाइया का बेटा बताया गया है. और ये धरती को जीवन देने वाले पानी की रचयिता टेथिस (Tethys) के पति थे.

पहले हम लोगों को पढ़ाया और बताया जाता था कि सात समुद्र है. लेकिन अब ये बात पुरानी हो चुकी है. क्योंकि इस शब्द की उत्पत्ति का इतिहास किसी के पास नहीं है. ग्रीक, रोमन्स, अरब, हिंदू, पारसी और चीन के प्राचीन इतिहास में अलग-अलग सागरों का जिक्र है. किसी में भी सातों सागर सामान्य नहीं है. कई तो इसमें ऐसे सागर हैं जिनका धरती पर कोई अस्तित्व नहीं है. ये सिर्फ पौराणिक कहानियों में मिलती हैं.

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