मुंबई के पवई स्थित आरए स्टूडियो में 17 बच्चों और दो वयस्कों को बंधक बनाने के मामले के मुख्य आरोपी रोहित आर्या की पुलिस की कार्रवाई में मृत्यु के बाद स्वतंत्र मजिस्ट्रेट द्वारा जांच शुरू कर दी गई है। संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून व व्यवस्था) सत्यनारायण चौधरी ने बताया कि कानून और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के तहत यह मजिस्ट्रेट जांच अनिवार्य है।
पवई के महावीर क्लासिक बिल्डिंग में बीते गुरुवार को आर्या ने करीब 100 बच्चों को ऑडिशन के बहाने बुलाया था; बाद में उसने 17 बच्चों और दो वयस्कों को स्टूडियो में बंधक बना लिया। आरोप है कि उसके पास एयरगन और कुछ रसायन भी मौजूद थे, जिस कारण सुरक्षा बलों ने तेज सावधानी के साथ ऑपरेशन चलाया।
पुलिस के अनुसार आर्या ने बंधक बनाए जाने के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर स्टूडियो में आग लगाने और संवाद की मांग की थी। वीडियो में उसने दावा किया कि उसे शिक्षा विभाग के साथ किए गए कार्य का पैसा नहीं मिला है और वह अपने बकाए के लिए प्रदर्शन कर रहा था। आर्या ने अपने ऊपर 2 करोड़ रुपये बकाया होने का भी उल्लेख किया था।
पुलिस ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा प्राथमिकता थी और दो घंटे तक समझाने के बावजूद आर्या बंधकों को छोड़ने के लिए राजी नहीं हुआ। कथित तौर पर आर्या ने पहले हवा में गोली चलाई, जिसके जवाब में एक पुलिसकर्मी ने उस पर गोली चलाई; आर्या घायल हो कर अस्पताल ले जाया गया जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
महाराष्ट्र सरकार भी आर्या के सरकारी टेंडर और भुगतान से जुड़े दावों की जांच कर रही है। शिक्षा विभाग के साथ उसके काम का लिखित विवरण मांगा गया है और स्थानीय मंत्री दादा भुसे ने भी रिपोर्ट तलब की है। जांच में यह देखा जाएगा कि क्या भुगतान संबंधी कोई गड़बड़ी थी और क्या किसी तरह का बकाया वास्तव में था।
आर्या का पोस्टमॉर्टम के बाद शव पुणे ले जाया गया और शनिवार तड़के अंतिम संस्कार कर दिया गया; अंत्येष्टि में परिवार ही उपस्थित था। शुरुआती जानकारी के अनुसार आर्या कुछ समय से परिवार से अलग रहा था और हालिया वर्षों में उसके पारिवारिक संपर्क सीमित थे।
पुलिस ने बताया कि ऑपरेशन में क्यूआरटी, बम निरोधक दस्ते और दमकल विभाग की टीमें शामिल थीं। बच्चों को सुरक्षित मुक्त कराया गया; पुलिस ने प्राथमिक चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध कराने की जरूरत पर भी जोर दिया है। मामले की मजिस्ट्रेट जांच थिस घटना की हर कानूनी और प्रक्रियागत बिंदु की निष्पक्षता से समीक्षा करेगी, जिसमें पुलिस कार्रवाई के निर्णय, गोलियां चलने की परिस्थितियाँ और आर्या के दावों की वैधता शामिल होंगी।

