सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को झटका दिया है। उसने नगरपालिका भर्ती अनियमितता मामले की जांच सीबीआई और ईडी से कराने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली बंगाल सरकार की याचिका खारिज कर दी है।
शिक्षक भर्ती घोटाले के बाद नगरपालिका की नियुक्ति में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और कलकत्ता हाईकोर्ट में एक मामला दायर किया गया था। इसी मामले की सुनवाई करते हुए अप्रैल में न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
केंद्रीय एजेंसियों को मामला दर्ज करने की दी थी अनुमति
21 अप्रैल को न्यायाधीस अभिजीत गांगुली की बेंच में मामले की सुनवाई हुई थी। सुनवाई में राज्य की ओर से कोई वकील पेश नहीं हुआ। सुनवाई में जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा था कि इस भ्रष्टाचार में वही लोग शामिल हैं, जो शिक्षकों की भर्ती में शामिल हैं। सीबीआई इस मामले को देखेगी। केंद्रीय एजेंसियां चाहें तो नए मामला दर्ज कर सकती हैं। सीबीआई को 28 अप्रैल को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपनी थी। न्यायाधीश ने डीजी और मुख्य सचिव को केंद्रीय जांच एजेंसियों को हर संभव सहयोग देने का निर्देश दिया था।
एक दिन बाद किया मामला दर्ज
इसके एक दिन बाद ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर पश्चिम बंगाल की नगरपालिकाओं में विभिन्न पदों पर भर्ती में कथित घोटाले के मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी।
इनके खिलाफ शिकायत
अधिकारियों ने बताया कि जांच एजेंसी ने उम्मीदवारों की ओएमआर शीट में कथित हेराफेरी को लेकर अयान सिल और उनकी कंपनी एबीएस इन्फोजोन प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह कंपनी ओएमआर शीट की छपाई में लगी हुई थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल में स्कूली शिक्षकों की नियुक्तियों में रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच के दौरान नगरपालिकाओं में विभिन्न पदों पर भर्ती में कथित घोटाले की ओर इशारा किया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने कलकत्ता हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसने इस पर ध्यान दिया था। ईडी ने दावा किया था कि स्कूल नौकरियों में रिश्वत घोटाला मामले में शामिल अयान सिल सहित एजेंट विभिन्न नगरपालिकाओं में क्लर्क, चपरासी, सफाईकर्मी और ड्राइवरों की भर्ती में भी कथित रूप से शामिल थे। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने नगरपालिका भर्ती घोटाला मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय ने सीबीआई को इस आदेश के आधार पर उठाए गए कदमों के बारे में 28 अप्रैल को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि अगर केंद्रीय एजेंसियां अनुरोध करती हैं तो वे नगरपालिका भर्ती में कथित घोटाले की जांच में सीबीआई और ईडी की मदद करें। ईडी ने कहा था कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत कथित नगरपालिका भर्ती घोटाले की जांच के लिए विधेय एजेंसी (मतलब सीबीआई) द्वारा एक अलग प्राथमिकी की आवश्यकता होगी।
ईडी ने सीबीआई के साथ विस्तृत जानकारी भी साझा की थी और उससे नगरपालिका भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच करने का अनुरोध किया था क्योंकि कथित शिक्षक भर्ती घोटाले से अपराध की आय कथित रूप से कथित नगरपालिका भर्ती घोटाले के लोगों के साथ जुड़ी हुई थी।