सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बीजेपी की निलंबित नेता नूपुर शर्मा के खिलाफ एक याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया है। इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट की ओर से अधिकारियों को नूपुर शर्मा को पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित टिप्पणी और मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को आहत करने के लिए कार्रवाई करने और उन्हें गिरफ्तार करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
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जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग उठाने वाले अधिवक्ता अबू सोहेल को रजिस्ट्रार के पास भेज दिया है। वकील ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए कहा था कि शिकायत के बावजूद पुलिस की ओर से नूपुर शर्मा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है
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कोर्ट बोला- पहले रजिस्ट्रार के पास मामले को सूचिबद्ध कराएं
याचिका को लेकर पीछ ने कहा, अवकाशकालीन पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख क्यों? पहले रजिस्ट्रार के पास मामले को सूचिबद्ध कराएं। वकील ने बाद में कहा कि उन्होंने रजिस्ट्रार के समझ मामले को उठाया है और इस पर 11 जुलाई को सुनवाई होने की संभावना है। याचिका में कहा गया है कि शर्मा ने पैंगंबर मोहम्मद और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी। इसलिए मामले की स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच के लिए निर्देश दी जाए, जिससे तत्काल गिरफ्तारी सुनिश्चित हो सके।
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शर्मा के बयान मौलिक अधिकारों का उल्लंघन’
इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि नूपुर शर्मा का बयान संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 26 और 29 और अन्य मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं। वकील ने कहा, नूपुर शर्मा के शब्दों ने देश और दुनिया में अशांति पैदा की और हंगामा खड़ा कर दिया है जिसकी वजह से हमारे देश की छवि खराब हुई है।