ईसाई धर्म गुरु पोप फ्रांसिस रविवार को यूक्रेन पर रूस (Russia) के हमले की जमकर निंदा की है. कैथोलिक चर्च के प्रमुख ने वेटिकन सिटी के सेंट पीटर्सबर्ग स्क्वायर पर एकत्रित लोगों को अपने साप्ताहिक संबोधन में कहा कि यूक्रेन में खून और आंसुओं की नदियां बह रही हैं. यह न केवल एक सैन्य अभियान है, बल्कि एक युद्ध है जो मौत, विनाश और विपत्ति की ओर ले जा रहा है.
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पोप के कड़े शब्द उस समय सामने आए हैं जब पोलैंड में यूक्रेन से भागे शरणार्थियों का स्वागत किया है. पोलैंड के आर्कबिशप स्टैनिस्लाव गाडेकी ने पिछले सप्ताह रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख पैट्रिआक किरिल को लिखा था, ‘अंतरराष्ट्रीय अदालतों सहित इन अपराधों को निपटाने का समय आएगा.’
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इससे पहले 27 फरवरी को पोप फ्रांसिस ने यूक्रेन में युद्ध शुरू करने के ”द्वेषपूर्ण और विकृत तर्क” की आचोलना करते हुए पहली बार सार्वजनिक रूप से सख्त टिप्पणियां कीं थी. उन्होंने ”दुखद” आक्रमण के चलते भागने वाले यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए मानवीय गलियारे खोलने की भी अपील की थी. हालांकि इस दौरान फ्रांसिस ने रूस का नाम लेने से परहेज किया था क्योंकि वह रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च के साथ संबंध सुधारने के प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा था कि युद्ध करने वाले इंसानियत को भूल जाते हैं.
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पोप फ्रांसिस ने असाधारण पहल करते हुए रोम स्थित रूसी दूतावास जाकर यूक्रेन में जारी युद्ध को रोकने की अपील की थी और युद्ध को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की थी. फ्रांसिस ने यूक्रेन के एक शीर्ष ग्रीक कैथोलिक नेता को आश्वासन दिया था कि वह इस युद्ध को रोकने के लिए जो कुछ कर सकते हैं, वह करेंगे. पोप की इस पहल को इसलिए असाधारण माना जा रहा था, क्योंकि आमतौर पर सभी राष्ट्राध्यक्ष और राजनयिक पोप से मुलाकात करने के लिए वेटिकन आते हैं. कूटनीतिक प्रोटोकॉल के तहत वेटिकन के विदेश मंत्री को रूस के राजदूत को तलब करना चाहिए था