केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने एक नया निर्देश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि अब फिजियोथेरेपिस्ट अपने नाम के आगे ‘डॉ.’ उपसर्ग का उपयोग नहीं कर पाएंगे। DGHS ने कहा है कि फिजियोथेरेपिस्ट चिकित्सा डॉक्टर नहीं हैं और उनके द्वारा इस उपसर्ग का उपयोग करने से आम जनता में भ्रम फैल सकता है।
DGHS की निदेशक डॉ. सुनीता शर्मा ने इस संबंध में भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) को पत्र लिखकर जानकारी दी। पत्र में कहा गया है कि ‘डॉ.’ उपाधि का दुरुपयोग क्वैकरी (घिसपिटा उपचार) को बढ़ावा दे सकता है, जिसे रोकना बेहद ज़रूरी है।
इससे पहले भी कई अदालतें और चिकित्सा परिषदें यह स्पष्ट कर चुकी हैं कि फिजियोथेरेपिस्टों को डॉक्टर की उपाधि नहीं दी जा सकती। पटना हाईकोर्ट (2003), तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल (2016), बेंगलुरु कोर्ट (2020) और मद्रास हाईकोर्ट (2022) ने इस पर फैसले दिए थे।
गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल में राष्ट्रीय एलाइड और हेल्थकेयर प्रोफेशन्स आयोग (NCAHP) ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें फिजियोथेरेपिस्टों को अपने नाम के आगे ‘Dr.’ और अंत में ‘PT’ लिखने की अनुमति दी गई थी। इस फैसले का भारतीय चिकित्सा संघ और कई अन्य संगठनों ने विरोध किया था।
DGHS ने सुझाव दिया है कि फिजियोथेरेपिस्टों के लिए कोई अलग और सम्मानजनक उपाधि तय की जाए, ताकि उनकी पहचान स्पष्ट रहे लेकिन जनता में यह गलतफहमी न फैले कि वे चिकित्सक (Medical Doctor) हैं।