रामलला की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को ऐतिहासिक बनाने को लेकर संघ व विहिप ने ताकत झोंक दी है। प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव रामराज्याभिषेक की तर्ज पर होगा। इस पूरे आयोजन को अविस्मरणीय बनाने के लिए कुंभ मेले की तर्ज पर व्यवस्थाएं की जा रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में मकर संक्रांति से फरवरी तक करीब एक करोड़ भक्तों के अयोध्या आने की संभावना है।
महोत्सव की तैयारी को लेकर विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय टोली की तीन दिवसीय बैठक शनिवार से अयोध्या में शुरू हुई। बैठक के पहले दिन विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार, महामंत्री मिलिंद परांडे बैठक में शामिल होने पहुंचे। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बैठक में अब तक हुई तैयारियों की जानकारी ली। विहिप के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने बताया कि प्राणप्रतिष्ठा का उत्सव रामराज्याभिषेक की तर्ज पर शोभायमान होगा। भव्य मंदिर के साथ अयोध्या सांस्कृतिक राजधानी के रूप में विकसित हो रही है यह संदेश जाएगा।
अनुमान है कि मकर संक्रांति से फरवरी तक करीब एक करोड़ भक्त रामलला के दर्शन को आएंगे। इनके ठहरने से लेकर खाने, पानी व भोजन की व्यवस्था पर चर्चा हो रही है। कुंभ मेले की तर्ज पर व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। रहने के लिए टेंट सिटी, रसोई घर आदि की अस्थायी व्यवस्था की जा रही है। बैठक में रविवार को विहिप के 50 और पदाधिकारी शामिल होंगे। शनिवार को बैठक में केंद्रीय उपाध्यक्ष जीवेश्वर मिश्र, संयुक्त महामंत्री कोटेश्वरजी सहित स्थानीय पदाधिकारी रहे।
निधि समर्पण अभियान की तरह चलेगा दर्शन अभियान
विहिप के अनुसार प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव में हर कोई अयोध्या आना चाहेगा, लेकिन ऐसा संभव नहीं होगा। ऐसे में प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव के बाद अलग-अलग राज्यों को रामलला का दर्शन कराया जाएगा। निधि समर्पण अभियान की तर्ज पर रामलला के दर्शन का अभियान चलाएंगें। जिस प्रकार निधि समर्पण अभियान में 10 करोड़ परिवारों ने मंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पण किया था उसी तरह इन परिवारों को महोत्सव से जोड़ने का लक्ष्य है। दर्शन का अभियान कई महीने तक चलाया जाएगा।
अयोध्या के भौगोलिक स्थित पर भी अध्ययन
बैठक में अयोध्या के भौगोलिक स्थिति पर भी अध्ययन हुआ। विचार आया कि एक दिन में अयोध्या में कितने भक्तों के रहने, खाने का इंतजाम किया जा सकता है। मेले के आकड़ों पर भी मंथन हुआ। तय हुआ कि यदि एक दिन में 10 लाख भक्त आए तो उन्हें किस तरह सुविधाएं दी जा सकेंगी। इनमें से अधिकांश लौट जाएंगें जबकि कुछ अयोध्या रहकर दर्शन-पूजन करेंगे। ऐसे कम से कम पांच लाख भक्तों के लिए व्यवस्थाओं की रूपरेखा बन रही है।