भारतीय सेना के सैनिकों को मारक क्षमता बढ़ाने के लिए सत्तर हजार और सिग सॉयर असॉल्ट राइफल मिलेंगी। ये राइफल आतंकवाद विरोधी अभियानों और अन्य कर्तव्यों में तैनात सैनिकों को दी जाएंगी। हाल ही में आयोजित रक्षा मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय बैठक में खरीद के लिए मंजूरी दी गई थी और इसमें सेना के शीर्ष अधिकारियों ने भाग लिया था। सरकार के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा, भारतीय सेना को 800 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 70,000 से अधिक असॉल्ट राइफल खरीदने की मंजूरी ऐसे समय में मिली है, जब बल चीन के साथ सैन्य गतिरोध में तैनात हैं और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर व्यापक आतंकवाद रोधी अभियान चला रहे हैं।
भारत पहले ही इनमें से 70,000 से अधिक अमेरिकी निर्मित असॉल्ट राइफलों को शामिल कर चुका है, जिनका इस्तेमाल लद्दाख सेक्टर में चीन के मोर्चे पर और कश्मीर घाटी में भी बलों द्वारा किया जा रहा है। इन राइफलों को खरीदने की योजना बल ने शुरू में इसलिए बनाई थी क्योंकि वह लंबी दूरी की राइफल रखना चाहती थी।
फरवरी 2019 में अमेरिका के सिग सॉयर से 72,400 सिग 716 राइफलें खरीदी गईं, जिनमें से 66,400 थल सेना के लिए, 4,000 वायु सेना के लिए और 2,000 नौसेना के लिए थीं। सिग 716 असॉल्ट राइफल को इसकी उच्च क्षमता और विस्तारित रेंज के कारण कई उम्मीदवारों के बल पर चुना गया था।
यह कथित तौर पर इंसास राइफल या एके-47 की तुलना में अधिक घातक है। अमेठी के पास ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में दो कंपनियों के संयुक्त उद्यम से तैयार की जा रही एके-203 भी भारतीय सेनाओं को जल्द मिलने वाली है। भारतीय बलों ने हाल ही में आतंकवादियों के खिलाफ और पारंपरिक अभियानों के लिए अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण संख्या में रूसी एके -103 भी हासिल की है।