इजरायल-हमास संघर्ष के कारण भारत – पश्चिम एशिया – यूरोप आर्थिक गलियारा (Middle East-Europe Economic Corridor) परियोजना में देरी और जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने यह बात कही।
GTRI ने कहा कि हालांकि संघर्ष के तात्कालिक परिणाम इजराइल और गाजा तक ही सीमित हैं, लेकिन पूरे पश्चिम एशिया में इसके प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता है।
थिंक टैंक ने कहा कि संघर्ष इजरायल और सऊदी अरब के बीच ऐतिहासिक शांति समझौते की संभावना को पटरी से उतार सकता है, जो भारत – पश्चिम एशिया – यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEEC) ढांचे में एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं।
हालांकि, सऊदी अरब और इजराइल के बीच ऐतिहासिक रूप से कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन हाल के वर्षों के दौरान संबंधों में नरमी के संकेत देखे गए हैं।
GTRI के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि युद्ध की स्थिति में दोनों देशों के बीच बातचीत पटरी से उतर सकती है। उन्होंने कहा, ‘मौजूदा इजराइल-हमास संघर्ष परियोजना की समयसीमा और परिणामों को बाधित कर सकता है। हालांकि, युद्ध का प्रत्यक्ष प्रभाव स्थानीय स्तर तक सीमित है, लेकिन इसके भू-राजनीतिक परिणाम बहुत दूर तक होंगे।’
IMEEC एक प्रस्तावित आर्थिक गलियारा है, जिसका उद्देश्य एशिया, फारस की खाड़ी और यूरोप के बीच संपर्क और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना है। यह गलियारा भारत से लेकर यूरोप तक फैला होगा।