मिस्र में रमज़ान के मुबारक महीने में मिस्री सरकार ने 9 लोगों को इख़वानुल मुस्लेमीन (मुस्लिम ब्रदरहुड) का सदस्य और 2013 की हिंसा में लिप्त होने के आरोप में, अचानक मौत की सज़ा दी है। रमज़ान में सरकार के इस क़दम से मिस्री मीडिया हल्क़ों में हड़कंप मच गया है।
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मिस्र में रमज़ान के मुबारक महीने में
मिस्री सरकार ने सैन्य अदालत की ओर से कुछ लोगों को दी गयी मौत की सज़ा और गंभीर सज़ाओं को ऐसी हालत में व्यवहारिक किया है, कि अगले कुछ दिनों में वह इस तरह के दूसरे आदेश पर भी अमल कर सकती है। ये लोग 2013 में राष्ट्रपति मोहम्मद मुरसी के सत्ता से हटाए जाने के बाद हुयी हिंसा में लिप्त पाए गए थे।
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मिस्र में हाई कोर्ट ने इन 9 लोगों की फांसी की सज़ा पर मुहर लगायी थी, लेकिन उन्हें अचानक फांसी दे दी गयी। इन लोगों को फांसी दिए जाने के बाद, इनके परिवार वालों को इसकी ख़बर दी गयी। फांसी पाने वाले इन लोगों के साथी अभी भी जेल में बंद हैं और वे फांसी पाने वाले मुजरिमों वाला कपड़ा पहने हैं। उन्हें भी, किसी भी वक़्त फांसी दी जा सकती है।
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मानवाधिकार संगठनों ने पवित्र रमज़ान में फांसी की सज़ा दिए जाने पर चिंता जतायी है, मुल्ज़िमें के परिजनों और वकीलों को मुल्ज़िमों को फांसी दिए जाने के बारे में किसी तरह का संदेश नहीं मिला था। इसी तरह फांसी पाने वालों को आख़िरी मुलाक़ात की भी इजाज़त नहीं दी गयी, जो मिस्र के संविधान के ख़िलाफ़ है।
एम्नेस्टी इंटरनैश्नल के मुताबिक़, सन 2020 में फांसी की सज़ा दिए जाने की नज़र से मिस्र दुनिया में तीसरे नंबर पर था। मिस्र में पिछले दो महीने में 25 लोगों को फांसी दी गयी।