विपक्षी दलों और कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को सरकार पर राष्ट्रीय प्रतीक को बदलने का आरोप लगाया। उन्होंने इसे तत्काल बदलने की मांग की। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने अशोक की लाट के ‘मोहक और राजसी शान वाले’ शेरों की जगह ‘उग्र शेरों’ का चित्रण कर राष्ट्रीय प्रतीक को बदल दिया है। हालांकि नए संसद भवन की छत पर लगे राष्ट्रीय प्रतीक को बनाने वाले मूर्तिकार का कुछ और ही कहना है। औरंगाबाद के मूर्तिकार सुनील देवरे ने यह राष्ट्रीय प्रतीक बनाया है। उन्होंने मंगलवार को विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रतीकों में कोई स्पष्ट बदलाव नहीं किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण किया था।
राष्ट्रीय प्रतीक बेहद शुद्ध कांस्य से बना है जिसका कुल वजन 9500 किलोग्राम है। इसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है। यह प्रतीक सम्राट अशोक की सारनाथ राजधानी में मौजूद प्रतीक की कॉपी है। टाइम्स नाउ से बात करते हुए, देवरे ने कहा, “असली प्रतीक 7 फीट ऊंचा है जबकि नया प्रतीक लगभग 7 मीटर (लगभग 21 फीट) ऊंचा है। वायरल हो रहे प्रतीक चिन्ह की तस्वीर जमीनी स्तर से ली गई है और जब आप इसे उस एंगल से देखते हैं तो इसका कैरेक्टर बदला हुआ नजर आता है।” उन्होंने कहा, “मैंने सही ढंग से स्टडी करने के बाद राष्ट्रीय प्रतीक को बनाया है। मुझे टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा प्रतीक बनाने का काम दिया गया था और मुझे सरकार से कोई निर्देश नहीं मिला।”
इससे पहले लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ट्वीट किया, ‘‘नरेंद्र मोदी जी, कृपया शेर का चेहरा देखिए। यह महान सारनाथ की प्रतिमा को परिलक्षित कर रहा है या गिर के शेर का बिगड़ा हुआ स्वरूप है। कृपया इसे देखिए और जरूरत हो तो इसे दुरुस्त कीजिए।’’ विपक्ष ने मोदी पर संविधान के नियमों को तोड़ने और समारोह में विपक्षी नेताओं को आमंत्रित नहीं करने के लिए निशाना साधा।
विपक्ष के आरोपों को लेकर जब सुनील से पूछा गया कि क्या शेरों के मुंह ज्यादा खुले हैं? इस पर उन्होंने कहा कि हमें एक स्पष्ट ब्रीफ दिया गया था। इस विशालकाय अशोक स्तंभ बनाने में हमे 9 महीने के करीब लग गए। सरकार से कोई हमे सीधा कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिला था। हमने किसी के कहने पर कोई बदलाव नहीं किया है। सारनाथ में मौजूद स्तंभ का ही ये कॉपी है।