सोशल मीडिया पर सरकार से जुड़ी फर्जी खबरों के खिलाफ हाल ही में संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख दिया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, मामले पर पांच जनवरी को फैसला सुनाया जाएगा।
बता दें खंडपीठ ने 29 सितंबर को मामले में दलीलें सुनी थी, जिसके बाद पीठ ने कहा था कि एक दिसंबर को फैसला देने का प्रयास किया जाएगा। वहीं शुक्रवार को सुनवाई में कोर्ट ने कहा, उसका फैसला अभी तैयार नहीं है।
केंद्र सरकार ने इससे पहले कोर्ट को आश्वस्त किया था कि मामले में फैसला आने तक केंद्र सोशल मीडिया पर फर्जी, झूठे और भ्रामक तथ्यों की पहचान करने और उन्हें चिन्हित करने के लिए स्थापित की जाने वाली तथ्य जांच इकाई को सूचित नहीं करेगा। केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील रजत नायर ने कहा कि अदालत इस मामले को क्रिसमस की छुट्टियों के बाद रख सकती है। पीठ ने इस पर हामी भरते हुए फैसले के लिए पांच जनवरी का दिन तय किया है।
इस वर्ष की शुरुआत में उच्च न्यायालय में नियमों को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं दायर की गई थी। दलीलों में कहा गया है कि सरकार एकमात्र मध्यस्थ बनने की कोशिश कर रही है और इन नियमों के माध्यम से नागरिकों की बोलने की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार को कम करने की कोशिश करेगी।
हालांकि, केंद्र ने कहा कि वह किसी भी प्रकार की राय, आलोचना, व्यंग्य या हास्य के खिलाफ नहीं है और नियम केवल सोशल मीडिया पर नकली, झूठे और भ्रामक तथ्यों को प्रतिबंधित करने के लिए है। याचिकाओं में अदालत से संशोधित नियमों को असंवैधानिक घोषित करने और सरकार को नियमों के तहत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकने का निर्देश देने की मांग की गई है।