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राहुल की पहल का ये है असर, ममता के बाद मोदी, प्रधानमंत्री और दूसरे बड़े नेताओं की किसी भी बड़ी चुनावी रैली का आयोजन नहीं, ‘श्रमिक उत्थान’ ने उठाया था सवाल

नई दिल्ली: राहुल की पहल का यह असर है कि पहले ममता फिर मोदी, भाजपा ने भी अब फैसला किया है कि पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री और दूसरे बड़े नेताओं की किसी भी बड़ी चुनावी रैली का आयोजन नहीं होगा।

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श्रमिक उत्थान’ व ‘मानवाधिकार अभिव्यक्ति’ ने उठाया था सवाल
दरअसल जिस तरह कोरोना के मामले आ रहे उसको देखते हुए राजनितिक दलों और नेताओं पर चुनावी प्रचार में जुटाई जा रही भीड़ पर लगातार सवाल खड़े किए जा रहे हैं। राहुल गाँधी ने इस बारे में पहल करते हुए पश्चिम बंगाल में अपनी चुनावी रैलियों का कार्यक्रम रद्द कर दिया और दूसरे राजनीतिक दलों से भी ऐसा करने को कहा जिसके बाद ममता बनर्जी ने भी कोलकाता में चुनाव प्रचार न करने और राज्य के दूसरे ज़िलों में भी रैलियों के समय में कटौती की घोषणा की।

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अब भारतीय जाता पार्टी ने भी इस बारे में क़दम उठाया है और फैसला किया है कि पश्चिम बंगाल में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आयोजित होने वाली किसी भी रैली में 500 से ज्यादा लोग शामिल नहीं होंगे।”

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राहुल की पहल का ये है असर, अब सिर्फ 500 लोग
भाजपा ने जारी किए अपने आदेश में कहा, “कोरोना संक्रमण को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि केवल 500 से अधिक लोगों के साथ छोटी सार्वजनिक बैठकें पश्चिम बंगाल में पीएम मोदी और अन्य केंद्रीय मंत्रियों द्वारा की जाएंगी। ये सभी सार्वजनिक बैठकें कोरोना के दिशानिर्देशों के साथ खुली जगहों पर आयोजित की जाएंगी।”

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