पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरण रिजिजू ने बुधवार को कहा कि उत्तर भारत और नेपाल के कुछ हिस्सों में भूकंप की वजह पश्चिमी नेपाल में अल्मोड़ा फॉल्ट की सक्रियता थी। लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में उन्होंने बताया कि अल्मोड़ा फॉल्ट के सक्रिय होने से 24 जनवरी (5.8 तीव्रता), 3 अक्तूबर (6.2) और 3 नवंबर (6.4) को भूकंप आए।
रिजिजू ने कहा कि इन मुख्य झटकों के कारण 2023 में भूकंप की आवृत्ति बढ़ गई। उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान क्षेत्र में भूकंप की आवृत्ति में कोई बदलाव नहीं आया। उन्होंने कहा, ‘उत्तर भारत और नेपाल में कभी-कभी मध्यम भूकंप और भूकंपीय गतिविधियों में उतार-चढ़ाव आना आम बात है। नेपाल और भारत का उत्तरी हिस्सा भूकंपीय रूप से अत्यधिक सक्रिय क्षेत्र है, जहां टेक्टोनिक प्लेट के टकराव के कारण अक्सर भूकंप आने की संभावना रहती है।’
अल्मोड़ा फॉल्ट एक उच्च कोण वाली पश्चिम-उत्तर पश्चिम-पूर्व-दक्षिण पूर्व से उत्तर पश्चिम- दक्षिण पूर्व तक गतिशील टेक्टोनिक प्लेट है, जो उत्तर में आंतरिक लघु हिमालय के गढ़वाल समूह को दक्षिण में बाहरी लघु हिमालय के जौनसार और दुदाटोली समूहों से अलग करता है।
रिजिजू ने कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने जोन दो से जोन पांच तक के भूकंपीय क्षेत्र का मानचित्र प्रकाशित किया है। यह भूकंप रोधी इमारतों के निर्माण के लिए जरूरी इंजीनियरिंग प्रथाओं को लागू करने के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है। उन्होंने कहा, भूकंप से संबंधित घटनाओं के लिए तैयारियों और प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए भूकंप अभ्यास, जागरूकता कार्यक्रम, भूकंप प्रबंधन जैसे विभिन्न एहतियाती उपायों के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) जिम्मेदार एजेंसी रही है।
नेपाल में 24 जनवरी को 5.8 तीव्रता का भूकंप आया था। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। इसके बाद तीन अक्तूबर को नेपाल में 4.6 और 6.2 तीव्रता के भूकंप के दो झटके महसूस किए गए थे और इसके झटके दिल्ली-एनसीआर में भी महसूस किए गए थे। इी तरह तीन नवंबर को भी नेपाल में 3.6 तीव्रता का भूकंप आया था।