भारत में नए राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चयन को लेकर राजनैतिक क़वायद अपनी चरम गति पर पहुंच गई है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने जगदीप धनखड़ को भाजपा का उप राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है।
एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने जुलाई 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का पद संभाला था जहां भाजपा और टीएमसी के बीच ज़ोरदार मुक़ाबला होता है। धनखड़ अपने फ़ैसलों के चलते लगातार सुर्खियों में रहे और कहा जाता है कि उन्होंने ममता बैनर्जी सरकार को परेशान करने का कोई भी मौक़ा हाथ से जाने नहीं दिया।
राज्यपाल के तौर पर शपथ लेने के बाद से ही उनका राज्य सरकार और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के साथ विभिन्न मुद्दों पर टकराव का जो सिलसिला शुरू हुआ, वो हाल में महुआ मोइत्रा के ‘काली विवाद’ तक जारी रहा। बहुत से गलियारे कहते हैं कि धनखड़ को इसी कठिन सेवा का प्रतिफल मिला है कि उन्हें उप राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया है।
धनखड़ ने शनिवार शाम को ही पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की थी, उसके बाद से ही उन्हें उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर अटकलें तेज़ हो गई थीं।
धनखड़ ने पहले दिन से ही जिस तरह राज्य सरकार और तृणमूल कांग्रेस के ख़िलाफ़ आक्रामक तेवर अपनाया, उसके चलते अक्सर उन पर बीजेपी नेता के तौर पर काम करने और राजभवन को बीजेपी के कार्यालय में बदलने के आरोप भी लगते रहे। शुरुआत में तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ उनके रिश्ते ठीक-ठाक रहे, इस दौरान ये दोनों नेता एक-दूसरे पर सीधे हमले करने से बचते रहे, लेकिन कुछ दिनों बाद ही दोनों नेता सार्वजनिक तौर पर एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगे, ममता बनर्जी ने तो कई बार सार्वजनिक तौर धनखड़ को राज्यपाल पद से हटाने की मांग भी की।
अब तक शायद ही कोई दिन ऐसा गुज़रा, जब राज्यपाल ने अपने ट्वीट के ज़रिए सरकार, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को कठघरे में खड़ा न किया हो, चाहे कोरोना का मुद्दा हो, राशन वितरण का, चुनाव के दौरान या चुनाव के बाद होने वाली हिंसा का या फिर अंफान तूफान के बाद राहत औऱ बचाव कार्यों का, राज्यपाल लगातार सरकार पर हमले करते रहे।