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Wednesday, December 10, 2025

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वंदे मातरम् पर संसद की चर्चा के लिए पीएम मोदी का आभार, बंकिमचंद्र चटर्जी के परपोते ने ममता सरकार पर लगाया उपेक्षा का आरोप

वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर सोमवार को संसद में आयोजित चर्चा को लेकर बंकिम चंद्र चटर्जी के परपोते सजल चट्टोपाध्याय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान बहुत पहले मिल जाना चाहिए था। सजल चट्टोपाध्याय ने कहा कि वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि राष्ट्र जागरण का मंत्र है और अगर हम हिंदू हैं तो हमें वंदे मातरम् को सही मायने में समझना होगा।

सजल चट्टोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर बंकिम चंद्र चटर्जी, उनके योगदान और उनके परिवार की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि लंबे समय से उनके पूर्वज और स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणास्रोत गीत वंदे मातरम् को बंगाल सरकार ने नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा कि जब भी दिल्ली से कोई केंद्रीय मंत्री या वरिष्ठ नेता, जैसे गृह मंत्री अमित शाह, पश्चिम बंगाल आते हैं तो वे परिवार से मिलते हैं, हालचाल पूछते हैं और वंदे मातरम् के प्रचार-प्रसार को लेकर बातचीत करते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज तक परिवार को एक बार भी नहीं बुलाया।

उन्होंने कहा कि संसद में वंदे मातरम् पर जो चर्चा हुई, वह बहुत पहले होनी चाहिए थी। सजल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कदम बेहद सराहनीय है, क्योंकि आज नई पीढ़ी इस गीत को भूलती जा रही है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् ने आजादी की लड़ाई में करोड़ों लोगों को प्रेरित किया, लेकिन इसके रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी और उनके परिवार को बंगाल सरकार से कभी कोई सम्मान या सहयोग नहीं मिला।

सजल चट्टोपाध्याय ने कहा कि मुख्यमंत्री के पास यह सब करने की पूरी क्षमता थी, लेकिन राज्य सरकार की ओर से आज तक कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया। उन्होंने साफ किया कि वे कोई राजनीतिक बात नहीं कर रहे, बल्कि सिर्फ अपनी पीड़ा और सच्चाई सामने रख रहे हैं। उनका कहना था कि जब 2018 में अमित शाह पश्चिम बंगाल आए थे तो उन्होंने परिवार को सम्मान दिया, व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की और पूछा कि वंदे मातरम् के प्रचार के लिए क्या किया जा सकता है, लेकिन इसके विपरीत राज्य सरकार की ओर से हमेशा उपेक्षा ही मिली।

उन्होंने कहा कि उनका परिवार राजनीतिक नहीं है और न ही राजनीति करता है, बल्कि केवल सच बोलता है। सजल ने यह भी कहा कि बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखे गए वंदे मातरम् में हिंदू देवी-देवताओं का उल्लेख होने के कारण एक समय इसे प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ा और इसी वजह से बंकिम बाबू की ऐतिहासिक भूमिका को लगातार नजरअंदाज किया गया।

सजल चट्टोपाध्याय ने दुख जताते हुए कहा कि बंकिम चंद्र चटर्जी देश के पहले स्नातक थे, इसके बावजूद आज उनके नाम पर न कोई राष्ट्रीय स्तर का भवन है और न ही कोई विश्वविद्यालय। उन्होंने कहा कि जैसे रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर विश्वविद्यालय और भवन हैं, वैसे ही बंकिम चंद्र चटर्जी के नाम पर भी संस्थान होने चाहिए। उनका कहना है कि यदि केंद्र सरकार इस दिशा में कदम उठाती है, तो आने वाली पीढ़ियां यह जान पाएंगी कि वंदे मातरम् क्या है, इसे किसने लिखा और बंकिम चंद्र चटर्जी ने राष्ट्र के लिए क्या योगदान दिया। सजल चट्टोपाध्याय ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी इच्छा यही है कि आने वाली पीढ़ियां बंकिम चंद्र चटर्जी और उनके योगदान को सम्मान और गौरव के साथ याद रखें।

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