केरल के वायनाड जिले में 30 जुलाई को आए विनाशकारी भूस्खलन के बाद एक बड़ा कचरा प्रबंधन अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान देश के अन्य हिस्सों में चल रहे बचाव कार्यों के लिए एक मिसाल पेश कर रहा है।
सुचित्व मिशन, क्लीन केरल कंपनी और राज्य के स्थानीय स्वशासन विभाग (एलएसजीडी) के तहत हरित कर्मा सेना के हजारों सदस्यों और समर्पित कार्यकर्ताओं ने अब तक 81 टन ठोस कचरा और 106.35 किलोमीटर तक के शौचालय अपशिष्ट को हटा दिया है।
राज्य के एलएसजीडी मंत्री एम.बी. राजेश ने कहा, “अब तक हरित कर्मा सेना के कार्यकर्ताओं, अधिकारियों और स्वयंसेवकों सहित करीब 2,850 लोगों ने सफाई अभियान में हिस्सा लिया है।” उन्होंने कहा कि सरकार ने कचरा प्रबंधन में दखल दिया है और भूस्खलन क्षेत्र व राहत शिविरों में कचरे के मुद्दों को हल किया है।
राजेश ने कहा, भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों और राहत शिविरों में प्रभावी कचरा निपटान ने केरल में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन में एख नई मिसाल कायम करने में मदद की है।
मंत्री ने कहा, ठोस कचरे में 10.6 टन जैव निम्नीकरणीय (बायोडिग्रेडबल) कचरा, 49.47 टन गैर-निम्नीकरणीय कचरा है। गैर-निम्नीकरणीय कचरे में 0.3 टन सैनिटरी कचरा, 2.64 टन बायोमेडिकल कचरा औऱ 18.63 टन कपड़ा कचरा शामिल है। जैव निम्नीकरणीय कचरे का मतलब स्वाभाविक तरीके से सड़ने वाले कचरे से है।
राजेश ने कहा कि एलएसजीडी ग्रीन प्रोटोकॉल का प्रभावी ढंग से पालन करके जैव निम्नीकरणीय और गैर-जैव निम्नीकरणीय कचरे, शौचालय अपशिष्ट, स्वच्छता और जैव-चिकिस्ता कचरे के प्रबंधन के वैज्ञानिक निपटान में लगा हुआ है।
उन्होंने यह भी कहा कि आपदा प्रभावित क्षेत्र और राहत शिविरों में सफाई अभियान आजोजित किए जाते हैं, जिसमें 150 स्वयंसेवक भाग लेते हैं। एलएसजीडी राहत शिविरों से जैविक कचरे को संसाधित करने के लिए कलपेट्टा नगर पालिका की विंडरो खाद इकाइयों का उपयोग कर रहा है। यह कचरा तीन लाइसेंस प्राप्त सूअर पालन करने वाले किसानों को भी सौंपा जा रहा है।