‘जी20’ शिखर सम्मेलन में विदेशी मेहमानों की सुरक्षा के लिए खास इंतजाम किया गया है। दूसरे मुल्कों के राष्ट्रध्यक्षों या सरकार के प्रमुखों की सुरक्षा की खातिर विशेष प्रशिक्षित कमांडो, मोर्चा संभालेंगे। सीआरपीएफ के प्रशिक्षित कमांडो को खास हथियार ‘थ्री कैलिबर वेपन’ प्रदान किया गया है। खास बात है कि यह हथियार ‘जंगल’ की लड़ाई में तो आग उगलता ही है, साथ ही इसे शहरी क्षेत्रों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ‘थ्री कैलिबर वेपन’ की मारक क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे एक ही समय पर ‘असॉल्ट राइफल’, ‘कारबाइन’ या ‘सब-मशीन गन’ के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। इस हथियार को तीन मोड में तैयार करने के लिए ज्यादा समय नहीं लगता। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को सबक सिखाने और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इसी हथियार का इस्तेमाल किया जाता है।
सूत्रों के मुताबिक, सामान्य तौर पर वीआईपी सुरक्षा के दौरान ‘सिंगल’ पैटर्न वाले हथियारों का प्रयोग होता है। आतंकियों और नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों को दुश्मन की चाल के अनुसार, अपनी रणनीति में बदलाव लाना पड़ता है। जंगल में कई बार ऐसे अवसर आते हैं जब दुश्मन पर वार करने के लिए ‘सब-मशीन गन’ या ‘कारबाइन’ की जरुरत होती है। ऐसी स्थिति में इजराइली ‘टेवर एक्स95’, एक बेहद कारगर हथियार साबित होता है। इसे बहुत कम समय के अंतर पर ‘असॉल्ट राइफल’, ‘कारबाइन’ या ‘सब-मशीन गन’ के तौर चला सकते हैं। वीआईपी सिक्यॉरिटी में लगे एनसएजी, एसपीजी, सीआरपीएफ व दूसरे बलों के कमांडो इसी हथियार से लैस रहते हैं। जंगल वॉरफेयर में पारंगत ‘सीआरपीएफ’ की ‘कोबरा यूनिट के कमांडो, नक्सलियों के खिलाफ इसी हथियार का इस्तेमाल करते हैं।
दूसरे हथियार के तौर पर रहेगी ‘एमपी 5’ कारबाइन
विदेशी मेहमानों की सुरक्षा के लिए कमांडो को ऑस्ट्रिया निर्मित ‘ग्लॉक’ पिस्टल से भी लैस किया गया है। विदेशी मेहमानों के करीब सुरक्षा का जो घेरा होगा, उसमें ‘ग्लॉक’ पिस्टल से लैस कमांडो (सादे कपड़ों में) रहेंगे। उनके बाद थोड़ी दूरी पर इजराइली ‘टेवर X95’ गन से लैस जवान तैनात होंगे। इनमें वे कमांडो शामिल हैं, जिन्हें सीआरपीएफ ने ट्रेंड किया है। ऐसे कमांडो की संख्या लगभग एक हजार बताई गई है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस के भी 45 सौ जवान ‘एमपी 5’ कार्बाइन से लैस होकर विदेशी मेहमानों की हिफाजत करेंगे। कुछ देश, अपने राष्ट्रध्यक्ष और प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी के लिए अपने कमांडो साथ ले रहे हैं। इन देशों में अमेरिका, चीन और ब्रिटेन आदि शामिल हैं।
विशेष दस्तों की रियल टाइम प्रेक्टिस शुरु
बता दें कि विदेशी मेहमानों की अचूक सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ द्वारा ग्रेटर नोएडा स्थित, वीआईपी सिक्योरिटी ट्रेनिंग सेंटर में लगभग 1000 ‘रक्षकों’ का विशेष दस्ता तैयार किया गया है। देश के विभिन्न हिस्सों से सीआरपीएफ के दर्जनभर ट्रेनरों ने इस विशेष दस्ते को प्रशिक्षित किया है। इन रक्षकों की लगभग 50 टीमें बनाई गई हैं। इन सभी जवानों की एनसीसी ग्राउंड में शिफ्टिंग हो चुकी है। वहां पर इनकी रियल टाइम प्रेक्टिस शुरु की गई है। इसके अलावा तैनाती स्थल पर रिहर्सल भी चालू हो गई है। सीआरपीएफ के वीआईपी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में जिन एक हजार जवानों को प्रशिक्षण दिया गया है, वे सामान्य कर्मी नहीं हैं। इनमें वे सभी जवान शामिल हैं, जो पूर्व में वीआईपी सुरक्षा का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने एसपीजी और एनएसजी जैसी सुरक्षा यूनिटों के साथ काम किया है। ये सभी जवान, विदेशी राष्ट्रध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों के ‘कारकेड’ में चलेंगे। दूसरे स्थलों पर इन्हें सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इन्हीं में से कुछ ड्राइवरों को भी ट्रेनिंग दी गई है।
‘जो बाइडन’ की रहेगी सबसे ज्यादा सुरक्षा
सबसे ज्यादा सुरक्षा अमेरिकी राष्ट्रपति ‘जो बाइडन’ की रहेगी। बाइडेन की सुरक्षा में ‘अमेरिकी सीक्रेट सर्विस’ के लगभग तीन सौ कमांडो तैनात रहेंगे। दिल्ली की सड़कों पर सबसे बड़ा कारकेड (काफिला) भी अमेरिकी राष्ट्रपति का होगा। उनके कारकेड में 40 से ज्यादा वाहन शामिल हो सकते हैं। चीन, ब्रिटेन और रूस के शीर्ष नेतृत्व के आतंरिक घेरे की सुरक्षा की जिम्मेदारी उन्हीं के सिक्योरिटी दस्ते उठाएंगे। सुरक्षा से जुड़ा साजोसामान इन्हीं देशों से दिल्ली आएगा। कुछ ही भारतीय कमांडो, वो भी दूर के घेरे में शामिल होंगे। हथियार और खोजी कुत्ते भी संबंधित देशों से ही आएंगे। ‘टेवर X95’ गन को नजदीक की लड़ाई के लिए बहुत कारगर माना जाता है। निशाना साधने में इसकी एक्यूरेसी बहुत अधिक है। एक्स 95 पर पिकेटिनी रेल (राइफल के ऊपर लगा एक प्लेटफॉर्म) होता है। पिकेटिनी रेल पर नाइट विजन डिवाइस लगी रहती है। इसकी मदद से दिन और रात में लंबी दूरी तक सटीक निशाना लगाया जा सकता है।