मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बताया कि उन्हें उन उम्मीदवारों के बारे में डेटा मिला है, जिन्हें वह अक्टूबर में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में संभावित रूप से उतार सकते हैं। रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए जरांगे ने बताया कि 29 अगस्त को समुदाय के नेताओं की एक बैठक होगी। इस बैठक में विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारने पर फैसला किया जाएगा। उन्होंने एक बार फिर बताया कि वह और उनके समर्थक राजनीति में प्रवेश नहीं करना चाहते हैं, लेकिन अगर सरकार मराठा समुदाय की मांगों को स्वीकार करने में विफल रहती है तो वे ऐसा करने के लिए मजबूर होंगे। बता दें कि मनोज जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाना चाहिए ताकि वे भी ओबीसी के तहत आरक्षण का लाभ उठा सकें।
जरांगे ने कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता नारायण राणे का सम्मान करते हैं, क्योंकि उन्होंने मराठा समुदाय को 16 फीसदी आरक्षण दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी, जिसे बाद में कोर्ट ने खारिज कर दिया। जरांगे ने आगे कहा, “नारायण राणे और उनके बेटे नीतिश राणे को उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इशारों पर काम नहीं करना चाहिए। अगर वे ऐसा करना जारी रखते हैं तो मराठा समुदाय उन्हें माफ नहीं करेगा।” जरांगे ने कहा कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे को भी अपने दोस्त देवेंद्र फड़णवीस को मराठों की कोटा मांगों का विरोध नहीं करने की सलाह देनी चाहिए। वहीं कार्यकर्ता नवनीत वाघमारे ने महाराष्ट्र सरकार को ओबीसी के तहत मराठों को कोटा देने के खिलाफ चेतावनी दी।
जालना जिला कांग्रेस अध्यक्ष शेख महमूद ने इस मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे सरकार इस मुद्दे को हल करने में विफल रही। उन्होंने दावा किया कि इसका असर लोगसभा चुनाव में तो पड़ा ही और अब विधानसभा चुनाव में भी पड़ेगा। भाजपा नेता अशोक पंगारकर ने कहा कि उनकी पार्टी आरक्षण को लेकर फैलाई जा रही गलत जानकारी को दूर करेगी।