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Friday, November 22, 2024

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सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक, कहा- अदालत प्रशासन नहीं चला सकती

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले पर रोक लगा दी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने गोवा के पांच गांवों – कलंगुट-कैंडोलिम, अरपोरा, नागोआ और पारा के दिसंबर 2022 के आउटलाइन डेवलपमेंट प्लान को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि अदालत प्रशासन नहीं चला सकती। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की अवकाश पीठ ने गोवा सरकार के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की याचिका पर यह आदेश दिया।

गोवा सरकार के विभाग ने बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ के निर्णय को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आउटलाइन डेवलपमेंट प्लान (ओडीपी) के तहत किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य पर तब तक रोक जारी रखने का आदेश दिया है, जब तक मामला हाईकोर्ट में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने अब मामले की सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते तक स्थगित कर दी है।

ओडीपी स्थानीय स्तर पर भविष्य के विकास के लिए बनाई जाने वाली योजना है, जिसे स्थानीय लोग, भूमि के मालिक और संबंधित सरकारी विभाग मिलकर बनाते हैं। दिसंबर 2022 में गोवा के पांच गांवों के लिए 2030 तक बनाई गई विकास योजना के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

एक महिला ने अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए 25 हफ्ते के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति मांगते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एम्स को निर्देश दिया है कि एक मेडिकल बोर्ड गठित किया जाए, जो महिला की शारीरिक स्थिति की समीक्षा करेगा। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अवकाश पीठ ने मेडिकल बोर्ड को 27 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।

महिला के वकील ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को 17 मई को ही अपनी गर्भावस्था के बारे में पता चला। वह दुबई से भारत आई है और फिलहाल एक होटल में ठहरी हुई है। सुप्रीम कोर्ट अब अगले सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करेगा। भारत में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी कानून के तहत 24 हफ्ते से अधिक समय के गर्भ को तभी समाप्त किया जा सकता है, जब गर्भ में पल रहे बच्चे को गंभीर बीमारी हो और मेडिकल बोर्ड इसकी मंजूरी दे। साथ ही गर्भवती महिला की भलाई के लिए ही गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी जा सकती है।

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