सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह दशहरा की छुट्टी के बाद संविधान के अनुच्छेद 370 में किए गए बदलावों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया गया था। जिसके बाद पीठ ने कहा कि वह दशहरा की छुट्टियों के बाद जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने का प्रावधान खत्म करने वाले अनुच्छेद 370 के संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
मुख्य न्यायधीश ने कहा, “हम निश्चित रूप से इसे सूचीबद्ध करेंगे।” CJI ने वकील से कहा कि यह एक महत्वपूर्ण संवैधानिक मामला है और लंबे समय से लंबित है। पीठ ने कहा कि दशहरा अवकाश के बाद जब अदालत फिर से खुलेगी तो इस पर विचार किया जाएगा। शीर्ष अदालत 3 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक दशहरा अवकाश पर रहेगी।
केंद्र सरकार के अगस्त 2019 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आखिरी बार 2 मार्च, 2020 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। हालांकि तब न्यायमूर्ति एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने याचिकाओं को एक बड़ी पीठ को सौंपने की प्रार्थना को खारिज कर दिया था।
शुक्रवार को न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने वरिष्ठ वकील पीसी सेन के ‘विशेष उल्लेख’ पर केंद्र सरकार के फैसले की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने के लिए सहमत हुई। पीठ ने सेन की शीघ्र सुनवाई करने की गुहार को स्वीकार करते हुए कहा कि मामले को दशहरा की छुट्टियों के बाद सूचीबद्ध किया जाएगा।
वरष्ठि वकील सेन ने पूर्व नौकरशाहों के एक समूह – राधा कुमार, जी के पल्लिई और अन्य की ओर से मामले पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया था। इन याचिकाकर्ताओं ने संयुक्त रूप से केंद्र सरकार के 5 अगस्त 2019 के फैसले की वैधता को चुनौती दी थी। शीर्ष न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मार्च 2020 में कहा था कि अनुच्छेद 370 से संबंधित फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजने की कोई आवश्यकता नहीं है, तब से यह मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं हुआ।
मार्च 2020 में सुनवाई करने वाली पीठ के न्यायमूर्ति एन वी रमना समेत दो सदस्यों के सेवानिवृत्त होने के कारण अब मामले पर विचार करने के लिए फिर पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन किया जाना है। केंद्र ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को संशोधित करके जम्मू कश्मीर राज्य के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया था। इसके बाद राज्य को लद्दाख और जम्मू कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था।