महाराष्ट्र में शिवसेना के दोनों गुटों के बीच कानून लड़ाई जारी है। इस बीच शिवसेना के उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि महाराष्ट्र में असंवैधानिक सरकार है। साथ ही उद्धव गुट ने महाराष्ट्र राजनीतिक संकट के संबंध में दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों की याचिकाओं की तत्काल सुनवाई की मांग की है। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायामूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने इस मामले को 13 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने यह कहते हुए मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने और शीर्ष अदालत से मामले की तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया कि महाराष्ट्र में एक असंवैधानिक सरकार है। इस पर जीसेआई ने कहा कि अगला सप्ताह विविध सप्ताह है और विविध सप्ताह में पांच न्यायाधीशों को इकट्ठा करना संभव नहीं होगा और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में शीतकालीन अवकाश होगा।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने महाराष्ट्र राजनीतिक संकट के संबंध में शिवसेना के उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच को जब्त कर लिया है। पीठ में न्यायामूर्ति एमआर शाह, न्यायामूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायामूर्ति हिमा कोहली और न्यायामूर्ति पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को यह तय करने की अनुमति दी थी कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच किस गुट को ‘असली’ शिवसेना पार्टी के रूप में मान्यता दी जाए और धनुष और तीर चिन्ह का आवंटन किया जाए। अगस्त में, शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने महाराष्ट्र राजनीतिक संकट पर शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी समूहों द्वारा दायर याचिकाओं को पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने कहा था कि महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट में शामिल कुछ मुद्दों पर विचार के लिए संवैधानिक बेंच की आवश्यकता हो सकती है।
बता दें, 23 अगस्त को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कानून से संबंधित कई प्रश्न तैयार किए थे। उन्होंने इस मामले कों पांच-न्यायाधीशों की पीठ को दल-बदल, विलय और अयोग्यता से संबंधित कई संवैधानिक प्रश्न उठाने वाले गुटों द्वारा दायर याचिकाओं को सुनने के लिए भेजा था। शीर्ष अदालत ने संविधान पीठ के समक्ष याचिकाओं को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया था और चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह शिंदे गुट की याचिका पर कोई आदेश पारित न करे कि उसे असली शिवसेना माना जाए और उसे पार्टी का चुनाव चिन्ह दिया जाए। कोर्ट ने कहा था कि दोनों गुट की याचिकाओं में अयोग्यता, स्पीकर और राज्यपाल की शक्ति और न्यायिक समीक्षा को लेकर संविधान की 10वीं अनुसूची से संबंधित महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दों को उठाया है।