उत्तरी कोरिया ने घोषणा की है कि चीन के साथ उसके मैत्रीपूर्ण संबन्ध कभी समाप्त होने वाले नहीं हैं।
चीन के साथ गठबंधन समझौते की 61 वीं सागिरह के अवसर पर उत्तरी कोरिया ने सोमवार को कहा है कि बीजिंग के साथ उसके संबन्ध कभी भी नहीं टूटने वाले हैं।
यूनहाप समाचार एजेन्सी के अनुसार सन 1961 में चीन तथा उत्तरी कोरिया के बीच गठबंधन समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। आज उसकी सालगिरह है।
इस संदर्भ में उत्तरी कोरिया के रोदोंग सीनमून समाचारपत्र ने अपने लेख में लिखा है कि हालिया कुछ वर्षों के दौरान उत्तरी कोरिया के नेता किम जोंग ऊन और चीन के राष्ट्रपति शिनजिंग पिन के बीच कई बैठकें हुईं। मैत्रीपूर्ण वातावरण में होने वाली यह द्विपक्षीय बैठकें, चीन तथा उत्तरी कोरिया के बीच सौहार्दपूर्ण एवं स्ट्रैटेजिक संबन्धों की परिचायक हैं।
सामचारपत्र अमरीका की ओर संकेत करते हुए लिखता है कि चीन और उत्तरी कोरिया के संबन्ध शत्रुओं की आखों में कांटों की तरह खटकते हैं। अभी भी कुछ एसे देश हैं जो चीन और उत्तरी कोरिया की दोस्ती से जलते हैं।
ज्ञात रहे कि उत्तरी कोरिया के परमाणु एवं मिसाइल कार्यक्रम से मुक़ाबले के बहाने अमरीका ने इस देश के विरुद्ध कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं। हालांकि चीन हमेशा से उत्तरी कोरिया का समर्थक रहा है। उसने राष्ट्रसंघ से कई बार पियुंगयांग के विरुद्ध लगे प्रतिबंधों को समाप्त करने की मांग की है।
याद रहे कि 11 जूलाई 1961 को चीन तथा उत्तरी कोरिया ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। इस समझौते के अनुसार दोनो देशों ने एक-दूसरे को वचन दे रखा है कि किसी भी एक पक्ष पर दूसरे देश के हमले की स्थति में दूसरा पक्ष उसकी हर प्रकार से सैन्य सहायता करेगा। उत्तरी कोरिया के बारे में अमरीका और पश्चिम के क्रियाकलापों के मुक़ाबले में चीन, पियुंगयांग का सबसे महत्वपूर्ण समर्थक है।