2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपी रमेश उपाध्याय ने मंगलवार को बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने अपने हिंदू आतंकवाद सिद्धांत को सही ठहराने के लिए महाराष्ट्र एटीएस से उन्हें फंसवाया था। विशेष एनआईए अदालत के समक्ष उपाध्याय ने दावा किया कि मैं निर्दोष हैं। विस्फोट से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। यूपीए सरकार के दबाव में मुझे गलत तरीके से फंसाया गया है।
उपाध्याय ने अदालत में आगे बताया कि एटीएस ने शारीरिक और मानसिक तौर पर उन्हें खूब प्रताड़ित किया। उन्होंने कहा कि मेरे मकान मालिक को धमकाया गया कि मुझे घर किराए में देकर आंतकी को शरण क्यों दी हुई है। मेरी पत्नी को नग्न घुमाने की धमकी दी गई। मेरी बेटी के साथ दुष्कर्म की धमकी दी गई। मेरे बेटे को पीटने और उसका जबड़ा तोड़ने की धमकी दी गई। मुझ पर दबाव बनाया गया कि मैं या तो जुर्म कुबूल कर लूं या फिर किसी और को फंसा दूं लेकिन मैंने मना कर दिया। इसलिए दिवाली की रात मुझे उठा लिया गया और नासिक में न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया।
पारिवारिक जीवन बर्बाद हो गया
उपाध्याय ने अदालत में मजिस्ट्रेट को यातनाओं के निशान दिखाए। जांच में सहयोग की सहमति व्यक्त की और नार्को टेस्ट के लिए भी सहमति व्यक्त की। मुझे शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से खूब तड़पाया गया। मेरा पूरा पारिवारिक जीवन बर्बाद हो गया।
29 सिंतबर 2008 की रात मालेगांव में एक बड़ा धमाका हुआ था। मोटर साइकिल में हुए इस बम धमाके में छह लोगों की मौत हुई थी। धमाके की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि इसमें 101 लोग घायल हुए थे। इस मामले की सुनवाई एक विशेष एनआईए कोर्ट में चल रही है। इससे पहले, भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा था कि मैं पहले पूरी तरह स्वस्थ थी, लेकिन पुलिस की कस्टडी में आई तो मेरी समस्या बढ़ती गई। कैंसर हुआ, रीढ़ की समस्या और न्यूरो की परेशानी हुई। इसका कारण कांग्रेस की सरकार और एटीएस की प्रताड़ना है।