गुजरात कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी और सूरत के पूर्व कलेक्टर आयुष ओक 2,000 करोड़ के जमीन घोटाले में शामिल थे। पार्टी ने मई में इस कथित घोटाले का खुलासा किया था। विपक्षी पार्टी की ओर से यह आरोप तब लगाया गया है, जब सोमवार को ओक को निलंबित किया गया है। ओक पर आरोप है कि उन्होंने सूरत जिले के कलेक्टर के रूप में 2021 और 2024 के बीच राजस्व भूमि के मामले से निपटने के दौरान लापरवाही बरती।
राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने सोमवार को एक आदेश जारी किया। इसमें उसने कहा कि निलंबन के समय वलसाड जिला कलेक्टर के रूप में कार्यरत ओक ने जमीन मामले से निपटने के दौरान सरकारी खजाने को कथित तौर पर भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया। आईएएस अधिकारी को 31 मई, 2024 को सूरत के वलसाड स्थानांतरित किया गया था।
नायक ने मई में मुख्यमंत्री को ईमेल किए पत्र की एक प्रति भी साझा की और सूरत कलेक्टर के रूप में ओक द्वारा लिए गए फैसलों की जांच की मांग की। गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव नायक ने कहा, डुमास क्षेत्र में 2.17 लाख वर्ग मीटर की जमीन के इसक टुकड़े को 1948 के राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी भूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया है और अब इसकी कीमत करीब 2,000 करोड़ रुपये है। किरायेदारी और कृषि भूमि को नियंत्रित करने वाले कानूनों के मुताबिक किरायेदार किसानों के नाम सरकारी जमीन के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किए जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जब करीब 22 व्यक्तियों ने जिला कलेक्टर के समक्ष आवेदन दायर कर मांग की थी कि उनके नाम उस भूमि के रिकॉर्ड में शामिल किए जाएं। तत्कालीन कलेक्टर ने 2015 में इस मामले का संज्ञान लिया था और जनहित में इन सभी आवेदनों को खारिज कर दिया था। नायक ने कहा कि इसके बाद किसी भी कलेक्टर ने उस आदेश को चुनौती नहीं दी और जमीन राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी स्वामित्व वाली भूमि बनी रही।
हालांकि, ओक ने अपने स्थानांतरण से एक दिन पहले भू-माफियाओं और राजनेताओं के साथ मिलकर साजिश के तहत कृष्णमुखलाल श्रॉफ का नाम एक पट्टेदार किसान के रूप में दर्ज करने की मंजूरी दे दी, जो उस कीमती जमीन पर उस व्यक्ति का अधिकार स्थापित करेगा। शायद यह पहली घटना है जिसमें सरकारी जमीन के राजस्व रिकॉर्ड में किरायेदार जोड़ा गया है।