ब्रिटेन के ग्लासगो शहर में चल रहे संयुक्त राष्ट्र के जलवायु शिखर सम्मेलन में ईरान ने जीवाश्म ईंधन के बारे में भारत के पक्ष का समर्थन किया है।
सम्मेलन में शामिल ईरानी प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को समझौते के मसौदे का विरोध करते हुए जीवाश्म ईंधन के बारे में मदद को लेकर भारत के पक्ष का समर्थन किया।
निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ >> क्लिक <<करें
ग्लासगो क्लाइमेट पैक्ट ग्रीनहाउस गैसों के लिए सबसे बड़े ज़िम्मेदार जीवाश्म ईंधन और कोयले के इस्तेमाल को कम करने के प्रयास के तौर पर जाना जा रहा है।
भारत के जलवायु मंत्री भूपेंद्र यादव का कहना है कि विकासशील देश कोयले और जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को ख़त्म करने का वादा कैसे कर सकते हैं, जबकि उन्हें अभी भी अपने विकास के एजेंडे और ग़रीबी उन्मूलन से निपटना है।
यादव ने अंतिम समझौते के मसौदे में इस्तेमाल होने वाले लहजे पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि इस मसौदे में कोई संतुलन नहीं है।
अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें
इससे पहले मसौदे में कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीक़े से ख़त्म करने की प्रतिबद्धता को शामिल किया गया था, लेकिन भारत के विरोध के बाद इसे हटा दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि चीन और सऊदी अरब समेत कुछ अन्य देश भी ग्लास्गो जलवायु समझौते के मसौदे का विरोध कर रहे हैं।
ग्लासगो कोप26 शिखर सम्मेलन के समापन के समय की घोषणा के बावजूद, सम्मेलन में शामिल देशों के बीच मतभेदों के कारण कोई अंतिम संयुक्त बयान जारी नहीं किया जा सका।
‘लोकल न्यूज’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘नागरिक पत्रकारिता’ का हिस्सा बनने के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें
यह सम्मेलन शुक्रवार को समाप्त होना था, लेकिन मतभेदों के कारण समझौते पर अंतिम सहमति नहीं बन सकी, क्योंकि जलवायु संकट से प्रभावित देशों की मदद समेत कुछ मुद्दों पर अभी भी मदभेद हैं।
इस समझौते में शामिल देशों ने यह तय किया है कि वह अगले साल फिर मिलेंगे ताकि तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कार्बन के इस्तेमाल को कम करने से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकें।