सोमवार को लोकसभा में ‘चुनाव अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2021’ पास हो गया। यह विधेयक चुनावी पंजीकरण अधिकारियों को “पहचान स्थापित करने के उद्देश्य से” मतदाता के पहचान पत्र से आधार संख्या को जोड़ने की अनुमति देता है। विधेयक को कानून मंत्री किरण रिजिजू ने संसद के लोकसभा में पेश किया, जिसमें वोटर कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने का प्रस्ताव है। इस विधेयक के पास होते ही सदन कल, 21 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
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‘चुनाव अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2021’ को लेकर सरकार का ये तर्क है कि इस कानून के आने से आधार और वोटर कार्ड (मतदाता पहचान-पत्र) को लिंक करने से फर्जी वोटर्स पर लगाम लगेगी। रिजिजू ने कहा कि सदस्यों ने इसका विरोध करने को लेकर जो तर्क दिए हैं, वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत तरीके से पेश करने का प्रयास है। यह शीर्ष अदालत के फैसले के अनुरूप ही है।
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लोकसभा में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एआईएमआईएम, आरएसपी, बसपा जैसे दलों विपक्षी दलों ने सरकार के इस बिल का विरोध किया। कांग्रेस ने विधेयक को विचार के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजने की मांग की। विरोध कर रहे विपक्ष ने कहा, ‘आधार कार्ड का वोटर कार्ड से लिंक करने की पहल सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है। साथ ही आधार कार्ड में वोटर कार्ड से ज्यादा गलतियां सामने आई हैं।’
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कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सदन में कहा कि आधार केवल निवास का प्रमाण है। यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है। यदि आप मतदाताओं के लिए आधार मांगने की स्थिति में हैं, तो आपको केवल एक दस्तावेज मिल रहा है जो निवास को दर्शाता है, नागरिकता को नहीं। इसके जरिए आप संभावित रूप से गैर-नागरिकों को वी वोट देने का अधिकार दे रहे हैं गैर-नागरिक, “कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सदन में कहा।