चुनावी रणनीतिकार prashant kishor ने धीरे धीरे अपने राजनीतिक भविष्य के ख़ाके के बारे जानकारियां देने लगे हैं. PK का राजनीतिक भविष्य क्या होगा, अपने नए राजनीतिक सफर की तैयारी वह किस तरह से करेंगे, उन्होंने पटना में मीडिया को बताया और कहा कि बिहार में पहले तीन हज़ार किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे, इसके बाद ही वह नई पार्टी बनाने के बारे में बात करेंगे.
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फ़िलहाल वह अभी नई पार्टी का निर्माण नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि मैं पहले बिहार में समाज के हर वर्ग से चर्चा करूंगा अगर नई पार्टी की जरूरत पड़ी तब पार्टी बनाएंगे. उन्होंने कहा कि वो 17-18 हजार लोगों से पहले बात करेंगे. इन 17-18 हजार लोगों को उन्होने और उनकी टीम ने चिन्हित किया है. ये लोग हर वर्ग, हर तबके के लोग हैं. इनसे मिलने और उनकी राय जानने का काम अगस्त- सितंबर तक पूरा हो जाएगा.
इसके बाद वह 2 अक्टूबर से तीन हजार किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे. और पदयात्रा के बाद जरूरत पड़ी और लोगो का बहुमत राजनीतिक पार्टी निर्माण के लिए हुआ तो वो नई पार्टी बनाएंगे. लेकिन वह पार्टी प्रशांत किशोर की नहीं होगी.
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पदयात्रा के लिए फंड की जरूरत के सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि वोट है तो नोट का जुगाड़ हो ही जाएगा. उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर से मैं स्वयं पश्चिमी चंपारण गांधी आश्रम से 3000 किलोमीटर की पदयात्रा शुरू करूंगा, बिहार के जिन लोगों से मिलना जरूरी है उनसे मुलाकात की जाएगी। उन्हें जनसुराज की परिकल्पना से जोड़ने का प्रयास करेंगे.
प्रशांत किशोर बिहार को लेकर कितना गंभीर हैं और लोग PK पर क्यों विशवास करें? इस सवाल के जवाब में प्रशांत किशोर ने कहा कि मैंने अलग अलग राज्यों में जिन भी नेताओं के साथ काम किया लोग उसी आधार पर मुझे जज करेंगे. मुझे ये कहने में गुरेज नहीं कि अगर कुछ लोगों को मुझ पर यकीन नहीं है तो मुझे और बेहतर प्रयास करने की जरूरत है. मैं आपने वाले समय में अपने कार्यों से, कर्तव्यों से और अपनी मेहनत से दिखाऊंगा और उनका विश्वास जीतने का प्रयास करूंगा. जिन्हें संदेह है कि ये कितने सीरियस हैं तो मैं इतना ही कह सकता हूं कि साहब आप हमें कुछ समय तो दीजिए. जैसे पिछले रोल में मैंने 10 साल काम किया, उस समय भी कुछ लोगों को तो डाउट रहा होगा, उसको मैंने करके दिखाया. मेरा यही आग्रह है कि डाउट रखिए लेकिन मुझे मौका तो दीजिए कि मुझमें इलेक्शन को लड़ने या समझने की क्षमता है या नहीं.
प्रशांत किशोर ने कहा- बिहार के लिए नई सोच और नए प्रयासों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बिहार में आने वाले 3-4 महीने में लोगों से मिलेंगे, उनसे बातें और चर्चा करूंगा. पीके ने कहा कि जन स्वराज और गुड गवर्नेंस की अवधारणा को बिहार में लाने के लिए क्या करने की जरूरत है, उनसे पूछूंगा अभी तक मैंने जिनसे मुलाकात की है सबका मानना है कि नई सोच और नए प्रयासों की जरूरत है.
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प्रशातं किशोर ने नीतीश कुमार और लालू प्रसाद पर निशाना साधते हुए कहा कि लालू प्रसाद का राज बिहार में 15 सालों तक रहा. नीतीश कुमार भी 17 साल से हैं. लालू राज के बारे में कहा जाता है सामाजिक न्याय का दौर था. और नीतीश राज सुशासन और विकास का राज है. फिर सवाल है कि इन दोनों के 30 साल के शासनकाल के बावजूद बिहार पिछड़ा क्यों है. बिहार में नई सोच की जरूरत है. जो बिहार को बदलना चाहते है उन्हें आगे आने की जरूरत है. बिहार आज नीति आयोग समेत हर रिपोर्ट में हर क्षेत्र में गरीब, पिछड़ा है. बिहार को बदलना है
उन्होंने कहा कि अगर बिहार को आने वाले 10-15 सालों में अग्रणी की श्रेणी में आना है तो जिन रास्तों पर बिहार चल रहा है उसे बदलना होगा. बिहार जिस रास्ते से चल रहा है उस रास्ते से वह अग्रणी राज्यों की श्रेणी में नहीं पहुंच सकता है.