भाकपा (माले) ने कहा है कि सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना में सिर्फ दो साल की ऊपरी उम्र सीमा बढ़ाना काफी नहीं है, बल्कि सरकार पूरी योजना ही रद्द कर पुरानी नियमित भर्ती प्रणाली को बहाल करे।राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि भयानक बेरोजगारी से जूझ रहे युवाओं के लिए यह योजना उनकी आशाओं पर वज्रपात से कम नहीं है।
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यह उनके भविष्य को संवारने के बजाय चौपट करने वाली योजना है। यही कारण है कि युवा इसका व्यापक विरोध कर रहे हैं।माले नेता ने कहा कि अडानी-अंबानी की तिजोरी भरने में सरकार की नीतियां कहीं से भी पीछे नहीं हैं, मगर जब युवाओं को रोजगार देने की बात हो, तो वेतन, भत्ते व पेंशन की रकम बचाने के लिए सेना में ठेका-पट्टा लाया जा रहा है।
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दो साल से भर्ती का इंतजार कर रहे युवाओं की पुरजोर मांग के बाद संविदा पर चार साल रखने की यह जो अग्निपथ योजना लाई गई है, वह रोजगार के नाम पर झुनझुना थमाने वाली कार्रवाई है।कामरेड सुधाकर ने कहा कि चार साल बाद सेना से हर 100 में से अनफिट होकर निकले 75 को राज्य की नौकरियों में वरीयता देने का भाजपा की सरकारों का वादा आंखों में धूल झोंकने के बराबर है।
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अगर राज्य की सरकारें इतनी ही नौकरियां देने को तत्पर होतीं, तो बेरोजगारी का आलम यह न होता और युवा आत्महत्या न करते। वैसे भी दो करोड़ प्रतिवर्ष और अकेले यूपी में 14 लाख सालाना रोजगार देने के मोदी और योगी के वादों का हस्र हम देख चुके हैं।उन्होंने कहा कि चार साल बाद सेना से छंटनी हुए युवा फिर से सड़क पर आ जाएंगे।
उनके सामने बेरोजगारी और पूरा जीवन पड़ा होगा। इस तरह से अपने ही युवाओं को मंझधार में छोड़ देने की सरकार भला सोच भी कैसे सकती है।माले नेता ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद सरकार को अग्निपथ को लेकर एक बार फिर पीछे हटना होगा। किसानों के बाद पाला नौजवानों से पड़ा है और वे भी पीछे हटने वाले नहीं।