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Friday, November 22, 2024

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क्षेत्रीय देशों का अमरीका के साथ सैन्य सहयोग, हो सकता है ख़तरनाक, रूस

रूस की शांति सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पैत्रोशेव ने शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों में अपने समकक्षों को अमरीका के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास करने के ख़तरों के बारे में चेतावनी दी है।

पैत्रोशेव अमरीका के साथ शंघाई सहयोग संगठन के कुछ सदस्यों द्वारा सैन्य सहयोग के ख़तरों का उल्लेख करते हुए, इस संगठन के सदस्य देशों के सुरक्षा परिषद के सचिवों की बैठक में कहाः वाशिंगटन अफग़ानिस्तान के पड़ोसी देशों में अस्थायी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए एक समझौते तक पहुंचने के प्रयासों से पीछे नहीं हटा है। रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव का कहना थाः मास्को, क्षेत्रीय सहयोग-2022 के तहत 10 अगस्त को ताजिकिस्तान में अमरीका की कमान में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन के कुछ क्षेत्रीय सदस्य देशों के साथ सैन्य अभ्यास की समीक्षा करेगा।

शंघाई सहयोग संगठन के कुछ सदस्यों ख़ासतौर पर ताजिकिस्तान की हालिया कार्यवाहियों से पता चलता है कि यह देश रूस, चीन और ईरान के साथ सहयोग के साथ ही अमरीका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों के साथ सैन्य सहोयग जारी रखे हुए हैं। हालांकि इसमें कोई शक नहीं है कि अमरीका के साथ इन देशों के सैन्य सहयोग से इन देशों को ही नुक़सान पहुंचेगा। क्योंकि अफग़ानिस्तान के साथ ताजिकिस्तान जैसे देश की संयुक्त सीमाओं के कुछ हिस्सों में असुरक्षा की घटनाओं की संभावनाएं पाई जाती हैं, जो उत्तरी अफगानिस्तान से मध्य एशियाई देशों तक फैल सकती है। इसके बावजूद, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति ने हाल ही में इस देश में खुली नीति को लागू करने का  प्रयास किया है। इस कारण, दुशंबे सरकार दुनिया के कई देशों के साथ सहयोग करने की कोशिश कर रही है, जिसमें अमरीका और यूरोपीय संघ भी शामिल हैं। यह स्पष्ट है कि इस नीति का कार्यान्वयन कि जिसका अमरीका के नेतृत्व वाली पश्चिमी सरकारों के क़रीब आने के अलावा कोई लक्ष्य नहीं है, दुशंबे सरकार के लिए समस्याएं पैदा कर सकती है। ताजिकिस्तान में अमरीकी अभ्यास पर एक रूसी विशेषज्ञ आंद्रेई कोर्तुनोव का कहना हैः निःसंदेह जिन देशों ने क्षेत्रीय सहयोग 22 सैन्य अभ्यास में भागल लिया है, उनके मद्देनज़र उनके राष्ट्रीय हित हैं। मध्य एशिया में युद्ध अभ्यास से अमरीका किन उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहता है, यह भी स्पष्ट है। एक साल पहले अमरीका ने अफ़ग़ानिस्तान से अपने सैनिकों को बाहर निकाल लिया था, जिससे क्षेत्र में उसके रुख़ पर काफ़ी गहरा असर पड़ा है। अब वे क्षेत्र में अपनी स्थिति को फिर से बहाल करना चाहता है।

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