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Monday, November 18, 2024

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फिर आमने-सामने भारत-चीन की सेना ढाई साल बाद, तनाव बरकरार 16 दौर की बातचीत के बाद भी

ढाईं साल पहले यानी साल 2020 के मई/जून में लद्दाख के गलवां घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद एक बार फिर नौ दिसंबर 2022 को दोनों देशों के जवान आमने-सामने आ गए। सूत्रों ने जानकारी दी है कि नौ दिसंबर को तवांग के पास भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई। इस झड़प में दोनों देशों के सैनिक घायल हो गए हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यह हालात तब हैं जब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कोर कमांडर स्तर की 16 दौर की वार्ता हो चुकी है। 

मई/जून 2020 में हुआ था पूर्वी लद्धाख सेक्टर में विवाद
गौरतलब है कि 1 मई, 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर झड़प हो गई थी। उस झड़प में दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए थे। यहीं से तनाव की स्थिति बढ़ गई थी। इसके बाद 15 जून की रात गलवान घाटी पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए। इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन के 38 से ज्यादा जवान मारे गए थे। इसके बाद करीब एक साल तक दोनों देशों के बीच काफी तनाव की स्थिति थी। सीमा पर हजारों जवान तैनात कर दिए गए थे।

3488 किलोमीटर लंबे एलएसी पर विवाद
भारत-चीन सीमा विवाद में 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) शामिल है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत के हिस्से के रूप में दावा करता है जबकि भारत इसका विरोध करता है। अक्साई चिन लद्दाख में एक विशाल क्षेत्र है जो वर्तमान में चीनी कब्जे में है। 2019 में जारी भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, चीनी सेना ने 2016 और 2018 के बीच 1,025 बार भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की। तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने नवंबर 2019 में लोकसभा में बताया था कि 2016 में चीनी सेना ने 273 बार भारतीय सीमा में घुसपैठ की थी, जो 2017 में बढ़कर 426 हो गई। 2018 में ऐसे मामलों की संख्या 326 थीं।

कई दौर की कोर कमांडर स्तर की हो चुकी है बैठक 
दोनों देशों की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की कई 16दौर की वार्ता हो चुकी है। हाल ही में जुलाई 2022 में 16वें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी। 12 घंटों से भी ज्यादा समय तक चली उस वार्ता के दौरान वार्ता के दौरान भारत ने फिर से चीन पर दबाव डाला था कि वह पूर्वी लद्दाख के विवाद वाले क्षेत्रों से सेना पूरी तरह पीछे हटाए। दोनों पक्ष संपर्क में रहने और सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों की मदद से बातचीत बनाए रखने और शेष मुद्दों को पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर जल्द से जल्द काम करने पर सहमत हुए थे।

जुलाई 2022 में ही विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बाली में हुई बातचीत में पूर्वी लद्दाख से जुड़े विवाद का मुद्दा प्रमुखता से उठा था। जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन से इतर बाली में एक घंटे की बैठक में जयशंकर ने यी को पूर्वी लद्दाख में सभी लंबित मुद्दों के शीघ्र समाधान की जरूरत बताई थी। 

उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों देशों के बीच संबंध आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों पर आधारित होने चाहिए। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि टकराव वाले कुछ स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाए जाने का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए शेष सभी क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तेजी लाने की आवश्यकता को दोहराया था। 

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