मद्रास हाईकोर्ट ने पुडुचेरी सरकार को निर्देश दिया है कि वह अपने चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आरक्षण प्रदान करके अपने क्षेत्र में पिछड़ी जनजातियों के साथ न्याय करे।
जस्टिस सी. वी. कार्तिकेयन ने कहा, यह पुडुचेरी सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस तरह की स्थिति में कदम उठाए और उन समुदायों, खासतौर पर पिछड़ी जनजातियों के लिए हाथ बढ़ाए और यह सुनिश्चित करे कि वह दौड़ में तब पीछे न रह जाएं, जब वे आरक्षण की मांग करें और जब वे नीट परीक्षा में पात्र अंकों का स्कोर हासिल कर रहे हों।
जस्टिस कार्तिकेयन ने कहा, एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए किसी भी श्रेणी में उन पर विचार न करने का कोई औचित्य नहीं है।
भूमि अधिग्रहण रद्द करने के आदेश पर पलानीस्वामी ने कहा- किसानों और अन्नाद्रमुक की जीत
तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी के प्रमुख ई. के. पलानीस्वामी (ईपीएस) ने शनिवार को कहा कि किसानों की सहमति के बिना कृषि भूमि अधिग्रहण के खिलाफ डीएमके सरकार द्वारा सरकारी आदेश (जीओ) जारी किया गया है। पलानीस्वामी ने कहा कि यह उनके विरोध और एआईडीएमके की जीत है, जिसने उनका समर्थन किया था।
एआईडीएमके प्रमुख ने कहा, जब कोयंबटूर इलाके की तालुका द्वारा 16 अगस्त, 2021 को एक सरकारी आदेश जारी किया गया था, तब किसान दंग रह गए ते और उनकी पार्टी ने तब इस कदम का विरोध किया था। ईपीएस ने एक बयान जारी कर कहा, उन्होंने संपत्ति कर, बिजली शुल्क और इसी तरह के जनविरोधी उपायों में बढ़ोत्तरी के खिलाफ कोयंबटूर में 2 दिसंबर को भूख हड़ताल का नेतृत्व किया था और भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर सरकार की निंदा की थी।
किसानों और उनकी पार्टी के कड़े विरोध के बाद इसी हफ्ते एक सरकारी आदेश जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि किसानों की मर्जी के खिलाफ खेती की जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। पलानीस्वामी ने कहा, किसानों के विरोध और अन्नाद्रमुक (एआईडीएमके) के लिए यह एक बड़ी जीत है, जिसने उनका समर्थन किया। उन्होंने कहा, डीएमके शासन को किसानों की इच्छा के खिलाफ कृषि भूमि का अधिग्रहण करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।