महाराष्ट्र, बिहार, लद्दाख और आध्र प्रदेश समेत देश के 13 राज्यों में राज्यपाल बदल दिए गए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यपालों की नियुक्ति की है। पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने वाले न्यायमूर्ति अब्दुल एस नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है।
रिटायर होने से ठीक पहले जस्टिस अब्दुल एस नजीर उस बेंच के हिस्सा थे, जिसने नोटबंदी पर सुनवाई की थी। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लिए गए नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया था। जस्टिस नजीर तीन तलाक के खिलाफ फैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच के भी सदस्य रहे थे।
जस्टिस नजीर अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई करने वाले पांच जजों की पीठ का हिस्सा रह चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट की जिस पीठ ने 9 नवंबर, 2019 को राम मंदिर के हक में फैसला दिया था, जस्टिस नजीर उसके दूसरे सदस्य हैं, जिन्हें रिटायरमेंट के बाद सरकारी नियुक्ति मिली है। जस्टिस नजीर से पहले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा सांसद बनाया जा चुका है। अब जस्टिस (रिटायर्ड) एस. अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।
जस्टिस एस. अब्दुल नजीर ने रिटायरमेंट के मौके पर कहा था कि वह चाहते तो अयोध्या विवाद में बाकी चार जजों के उलट अपनी राय रखकर अपने समुदाय का हीरो बन जाते, लेकिन उन्होंने देशहित को सर्वोपरि समझा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल सभी पांचों जजों ने एकमत से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला दिया था।
जस्टिस एस. अब्दुल नजीर कर्नाटक में दक्षिण कन्नड़ जिले के एक गांव से आते हैं। एस. अब्दुल नजीर जब काफी छोटे थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। स्कूली शिक्षा के दौर में ही उनके ऊपर पारिवारिक जिम्मेदारी आ गई थी। उन्होंने ग्रैजुएशन पूरा करने के बाद लॉ डिग्री ली और कर्नाटक की अदालतों में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी।