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Friday, November 22, 2024

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मद्रास HC के आदेश के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई तमिलनाडु सरकार की याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के खाद्य सुरक्षा आयुक्त की 2018 की अधिसूचना को रद्द कर दिया था। इसके जरिए गुटखा और अन्य तंबाकू आधारित उत्पादों की बिक्री, निर्माण और परिवहन पर रोक लगाई गई थी। हाई कोर्ट द्वारा इसे रद्द करने के आदेश के खिलाफ तमिलनाड़ु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। 

शीर्ष अदालत की जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर याचिका पर खाद्य सुरक्षा आयुक्त, जयविलास टोबैको ट्रेडर्स और अन्य को नोटिस जारी किया। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, “विशेष अनुमति याचिका में नोटिस जारी करें। अंतरिम राहत के लिए प्रार्थना में भी नोटिस जारी करें।”

वहीं, राज्य का पक्ष रख रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने अदालत में तर्क दिया कि खाद्य सुरक्षा आयुक्त के गुटखा और अन्य तंबाकू उत्पादों की बिक्री, भंडारण, निर्माण आदि पर प्रतिबंध लगाने के आदेश खाद्य सुरक्षा और मानकों के विनियम (बिक्री पर प्रतिबंध और प्रतिबंध) विनियम, 20112.3.4 द्वारा समर्थित हैं। 

गौरतलब है कि मद्रास हाईकोर्ट ने 23 मई, 2018 को खाद्य सुरक्षा आयुक्त द्वारा जारी एक अधिसूचना को रद्द कर दिया था।  जिसमें गुटखा, पान मसाला और तंबाकू/निकोटीन युक्त अन्य चबाने योग्य खाद्य उत्पादों के निर्माण, भंडारण, परिवहन, वितरण और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। अधिसूचना को रद्द करने आदेश देते हुए अदालत ने माना था कि खाद्य सुरक्षा आयुक्त को साल दर साल लगातार अधिसूचना जारी करके तंबाकू उत्पादों पर स्थायी प्रतिबंध लगाने की अनुमति देना एक ऐसी शक्ति प्रदान करने के समान होगा जो कानून में प्रदान नहीं की गई थी। साथ ही अदालत ने यह भी कहा था कि खाद्य सुरक्षा आयुक्त द्वारा जारी तमिलनाडु में गुटखा और पान मसाला पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना उसकी शक्तियों के भीतर नहीं है।  

SC ने बाघों की कथित मौत पर केंद्र से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से  देश में बाघों की कथित मौत के बारे में जानकारी मांगी है। न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने बाघों की मौत के बारे में समाचार पत्रों की खबरों पर ध्यान देने के बाद यह जानकारी मांगी है। शीर्ष अदालत 2017 में अधिवक्ता अनुपम त्रिपाठी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें लुप्तप्राय बाघों को बचाने की मांग की गई थी, जिनकी संख्या देश भर में घट रही है।

याचिका में कहा गया था कि बाघ या तो स्थानीय लोगों या अधिकारियों द्वारा ज़हर देकर, वन रक्षकों द्वारा गोली मारकर या अवैध शिकार करके मारे जा रहे हैं।

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