ट्रांसफार्मर खराब हो गया है, तो किराए पर लीजिए…। ठेकेदार की मिन्नतें कीजिए और मोटी रकम दीजिए…। इन दिनों ऐसा ही कुछ हो रहा है। सवा लाख बिजली उपभोक्ता विद्युत नियामक आयोग व यूपी पावर कॉरपोरेशन के दो अलग-अलग नियमों के पाट के बीच पिस रहे हैं। बिजली सिस्टम विकसित होने के तीन साल पूरे होने और 15 फीसदी सुपरविजन चार्ज वसूलने के बाद भी लेसा अपार्टमेंट्स और कॉम्प्लेक्स के ट्रांसफार्मर बदलने के नाम पर ठेंगा दिखा रहा है।
राजधानी के छोटे एवं बड़े अपार्टमेंट्स और कॉम्प्लेक्स में करीब 1.25 लाख बिजली उपभोक्ता हैं। कॉम्प्लेक्सों की बात करें तो इनमें करीब 50 हजार व्यापारी कारोबार करते हैं, तो वहीं अपार्टमेंट्स में करीब 75 हजार परिवार रहते हैं। ऐसे उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति करने के लिए बिल्डर को नेटवर्क विकसित करके ट्रांसफार्मर लगाना होता है। इसकी तीन साल तक देखभाल भी बिल्डर को ही करनी होती है।
यूपी पावर कॉरपोरेशन के नियमों के तहत इसके बाद मेंटेनेंस और खराबी आने पर बदलने की जिम्मेदारी लेसा की होती है। पर, जेई सेटिंग हो जाने पर यूपी पावर कॉरपोरेशन के नियमों के तहत ट्रांसफार्मर बदल देते हैं, नहीं होने पर विद्युत नियामक आयोग के नियम का हवाला देकर टरका देते हैं। आए दिन ट्रांसफार्मर बदलने को लेकर अधिशासी अभियंताओं के दफ्तर में पंचायत लगती है। ऐसे मामले मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी तक भी पहुंचे हैं।
ये दो मामले…नियमों के तहत लेसा को बदलने थे ट्रांसफार्मर, पर बदले नहीं
मजबूरी में कारोबारियों ने 1000 रुपये रोजाना के किराये पर लिया ट्रांसफार्मर
भूतनाथ मार्केट में बीते दिनों विनिराज प्लाजा का ट्रांसफार्मर खराब हो गया। 25 कारोबारियों के शोरूम की बिजली गुल हो गई। प्लाजा के मालिक ने जेई से ट्रांसफार्मर बदलने को कहा, तो उसने विद्युत नियामक आयोग के आदेश का हवाला देकर खुद ही खराब ट्रांसफार्मर बदलवाने की सलाह दे दी। थक हारकर उन्होंने एक ठेकेदार को खराब ट्रांसफार्मर बदलने का ठेका दिया। ठेकेदार अपने ट्रांसफार्मर का 1000 रुपये रोजाना किराया वसूल रहा है।
ट्रांसफार्मर बदलने का एक लाख रुपये में दिया ठेका
इंदिरानगर में रविवार रात गोल्ड व्यू कॉम्प्लेक्स का ट्रांसफार्मर खराब हो गया। कारोबारियों एवं मालिक ने जेई से ट्रांसफार्मर बदलने को कहा, तो जवाब मिला कि खुद बदलवाएं। कारोबारियों ने ठेकेदार को एक लाख रुपये में खराब ट्रांसफार्मर बदलने का ठेका दिया। जेई के ट्रांसफार्मर नहीं बदलने के कारण सोमवार को पूरे दिन 15 व्यापारियों का कारोबार बाधित रहा।
दो अलग-अलग नियमों का पेच
विद्युत नियामक आयोग कहता है: ट्रांसफार्मर खराब होने पर बदलने की जिम्मेदारी विकासकर्ता की विद्युत प्रदाय संहिता-2005 के 13 वें संशोधन के तहत विद्युत नियामक आयोग ने 10 अगस्त-2018 को जारी किए गए आदेश में कहा है कि बहुमंजिला इमारतों, कॉम्प्लेक्स एवं अपार्टमेंट में विकासकर्ता (बिल्डर) विद्युत प्रणाली को विकसित करेगा। इसके बाद ट्रांसफार्मर के मेंटेनेंस, खराब होने पर बदलने एवं पावर बैकअप के लिए जनरेटर सेट का इंतजाम करने की जिम्मेदारी बिल्डर की होगी।
यूपी पावर कॉरपोरेशन का नियम कहता है : 36 माह बाद सारी जिम्मेदारी लेसा की विद्युत प्रदाय संहिता-2005 के अनुसार 15 फीसदी सुपरविजन चार्ज जमा योजना के तहत यदि कनेक्शन जारी किया जाता है तो अनुबंध अवधि 36 माह पूरे होने के बाद ट्रांसफार्मर खराब होने पर विभाग (लेसा) बदलेगा। अनुबंध अवधि के बाद मेंटेनेंस भी विभाग ही करेगा।
जानिए क्या है 15 फीसदी सुपरविजन योजना
इस योजना के तहत बिजली नेटवर्क विकसित करने के लिए विभाग जो एस्टीमेट बनाता है, उसका 15 फीसदी सुपरविजन शुल्क के रूप में बिल्डर से जमा कराया जाता है। योजना के तहत ट्रांसफार्मर लगाने से लेकर हाईटेंशन लाइन तैयार कराने का जिम्मा बिल्डर का होता है। विद्युत सुरक्षा निदेशालय की टीम की जांच और एनओसी के बाद लाइन को चालू किया जाता है। तीन साल तक बिल्डर को इसका मेंटेनेंस करना पड़ता है, इसके बाद जिम्मेदारी विभाग के हवाले हो जाती है।
1200 अपार्टमेंट
5000 कॉम्प्लेक्स
अपार्टमेंट के उपभोक्ता 75,000
कॉम्प्लेक्स के उपभोक्ता 50,000
व्यापारी नेता ने ऊर्जा मंत्री से की जांच कराने की मांग
भूतनाथ व्यापार मंडल के अध्यक्ष देवेंद्र गुप्ता बताते हैं कि इलाकाई जेई एवं एसडीओ ने आयोग के आदेश का हवाला देकर कॉम्प्लेक्सों का ट्रांसफार्मर नहीं बदल रहा। खराब ट्रांसफार्मर नहीं बदले जाने के कारण व्यापारियों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। वहीं, ठेकेदार से बदलवाने पर आर्थिक नुकसान भी कारोबारियों को उठाना पड़ रहा है। हमने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से प्रकरण की जांच कराने की मांग उठाई है।
अधिशासी अभियंताओं को देंगे स्पष्ट आदेश
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के निदेशक (वाणिज्य) योगेश कुमार का कहना है कि कॉम्प्लेक्स एवं अपार्टमेंट के ट्रांसफार्मर को लेकर आए दिन विवाद होता है। इस समस्या के हल के लिए सभी अधिशासी अभियंताओं को स्पष्ट आदेश जारी किए जाएंगे।