मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह ने राज्य में जातीय संघर्ष को खत्म करने के उपाय ढूंढ़ने के लिए विधानसभा का आपातकालीन सत्र बुलाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और 10 समान विचारधारा वाले दल राज्यपाल और राज्य सरकार पर राज्य में हिंसा को खत्म करने के लिए तुरंत एक आपातकालीन सत्र बुलाने का दबाव बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में हिसा से अब तक 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
यहां कांग्रेस भवन में बुधवार को भारत छोड़ो आंदोलन की 81वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि संकट को खत्म करने के लिए आम राय से किसी प्रस्ताव को पास करना जरूरी है। इबोबी सिंह ने कहा, प्रस्तावित आपातकालीन सत्र में राज्य में उभर रहे संकट पर चर्चा होनी चाहिए और संघर्ष को खत्म करने के लिए एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए।
राज्य विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता ने कहा कि मौजूदा संकट के शांतिपूर्ण समाधान का निश्चित तौर पर कोई न कोई रास्ता जरूर निकलेगा। इबोबी सिंह ने जोर देकर कहा संघर्ष के अंत का उपाय ढूंढ़ते समय मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता से किसी भी कीमत पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि सरकार को प्रस्तावित सत्र में सदन के सभी सदस्यों की उपस्थिति सुनिश्चित करनी होगी।
गौरतलब है कि हाल ही में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह द्वारा बुलाई गई कैबिनेट बैठक में राज्यपाल से यह सिफारिश करने का संकल्प लिया गया था कि विधानसभा सत्र का आयोजन 21 अगस्त को किया जाए।
राज्य से असम राइफल्स को हटाने की सत्तारूढ़ भाजपा की मांग पर इबोबी सिंह ने कहा कि अगर राज्य सरकार संकट से निपटने में अर्धसैनिक बल की भूमिका से संतुष्ट नहीं थी, तो उच्च अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज की जानी चाहिए थी। पूर्व सीएम ने आपातकालीन सत्र के लिए जोरदार वकालत की, लेकिन समुदाय के नेताओं के अनुसार जारी जातीय हिंसा के मद्देनजर अधिकांश कुकी विधायकों की उनकी पार्टी से जुड़े होने के बावजूद इसमें भाग लेने की संभावना नहीं है।
60 सदस्यों की संख्या वाले मणिपुर सदन में कुकी-जोमी के 10 विधायक हैं, जिनमें भाजपा के सात, कुकी पीपुल्स अलायंस के दो और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं। कुकी पीपुल्स अलायंस (केपीए) के अध्यक्ष टोंगमांग हाओकिप ने कहा, “विधायकों के लिए इंफाल की यात्रा करना सुरक्षित नहीं होगा। थानलॉन का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा विधायक वुंगजागिन वाल्टे पर वहां बुरी तरह से हमला किया गया था, वह अभी भी चिकित्सा देखभाल में हैं।”
उन्होंने कहा कि इस आशंका को तभी दूर किया जा सकता है, अगर राज्य सरकार और केंद्र की ओर से गारंटी हो और विधायकों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए जाएं। विश्लेषकों ने कहा कि कुकी के प्रतिनिधित्व के बिना यह संभावना नहीं है कि पिछले तीन महीने से मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्षों पर कोई सार्थक चर्चा की जा सकेगी।
इस बीच, 40 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य में शांति और सुरक्षा का माहौल बनाने के लिए पूर्ण निरस्त्रीकरण की आवश्यकता है। इन विधायकों में से अधिकांश मैतेई समुदाय से हैं। उन्होंने कुकी उग्रवादी समूहों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (एसओओ) समझौते को वापस लेने, राज्य में एनआरसी लागू करने और स्वायत्त जिला परिषदों (एडीसी) को मजबूत करने की भी मांग की है।