सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े एक मामले में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुनवाई के लिए अपनी सहमति दे दी है। शीर्ष अदालत की मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला, और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को अत्याचारपूर्ण करार दिया। इसके साथ ही कहा गया कि वह इस फैसले की जांच करेगा। गौरतलब है कि मद्रास हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को अपने मोबाइल फोन में चाइल्ड पोर्न डाउनलोड करने के मामले में फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री डाउनलोड करने के आरोप में 28 वर्षीय एक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी थी। साथ ही कहा था कि चाइल्ड पोर्न डाउनलोड करना और देखना पॉक्सो और आई़टी कानूनों के तहत अपराध नहीं है।
मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ फरीदाबाद के जस्ट राइट्स फ़ॉर चिल्ड्रन अलायंस और नई दिल्ली स्थित बचपन बचाओ आंदोलन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। मामले में सोमवार को याचिकाकर्ता संगठनों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि हाईकोर्ट का फैसला कानून के विपरीत है। इस दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला अत्याचारपूर्ण है। एकल न्यायाधीश यह कैसे कह सकता है? शीर्ष कोर्ट ने इसे लेकर नोटिस भी जारी किया है। साथ ही तीन सप्ताह में जवाब भी मांगा है। इसके अलावा, अदालत ने चेन्नई निवासी एस हरीश और तमिलनाडु के दो संबंधित पुलिस अधिकारियों से भी जवाब मांगा।