सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नागरिकता संशोधन नियम (सीएए) को चुनौती देने वाली नई याचिका पर केंद्र और असम सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने गुवाहाटी के निवासी हिरेन गोहेन की तरफ से पेश की गई याचिका पर गौर करने के बाद ये निर्देश दिए हैं।
गोहेन ने अपनी याचिका में कहा कि नागरिकता संशोधन कानून संविधान के उलट है। यह स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण, अवैध और संविधान की मूल संरचना के खिलाफ है। गोहेन की तरफ से कोर्ट में पेश एक वकील की दलीलों को सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश भी दिया कि नई याचिका को इस मुद्दे पर लंबित याचिकाओं के साथ संलग्न किया जाए।
याचिका में क्या बताया गया है?
गोहेन ने अपनी याचिका में कुछ खास बातों पर गौर किया है। उनका कहना है कि उन्होंने असम के निवासियों के प्रतिनिधित्व में यह याचिका दायर की है। बांग्लादेश से असम में अवैध प्रवासियों की आमद का मुद्दा उठाते हुए याचिका में कहा गया कि यह कोई सांप्रदायिक मुद्दा नहीं है और ना ही यद मुद्दा हिंदू-मुस्लिम या स्वदेशी बनाम बंगाली अप्रवासियों का मुद्दा है। याचिका में बताया गया है कि यह घुसपैठ का मामला है। वे घुसपैठिए, जो असम के मूल निवासियों की जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि बांग्लादेश से असम में अवैध प्रवासियों की अनियंत्रित आमद हो रही है। इस वजह से असम में भारी जनसांख्यिकी परिवर्तन देखा जा रहा है। आगे बताया गया है कि जो मूल निवासी कभी बहुसंख्यक थे, वे अब अपनी ही धरती पर अल्पसंख्यक हो गये हैं।
दलीलों को सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किया है। बता दें कि सीएए को लेकर 2019 और 2020 की शुरुआत में देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे।