राष्ट्रीय श्रमिक दिवस व महाराष्ट्र दिन की सभी देश वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं –
जब एक देश एक कानून और एक झंडा तो श्रमिकों के लिए दो कानून और दो नियम ( दो वर्ग – संगठित क्षेत्र और असंगठित क्षेत्र के मजदूर) क्यों ????? इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने में मदद करें।
ये कैसा “अमृत महोत्सव”: क्योंकर 75 सालों में असंगठित मजदूरों को संगठित करने का प्रयास नहीं किया गया ?
जब देश आजादी के 75 साल “अमृत महोत्सव” के रूप में मना रहा है और एक देश, एक झंडा, एक कानून यहाँ तक एक चुनाव की बात करने वाले देश के लगभग 84 करोड़ असंगठित मजदूरों को संगठित करने की पहल नहीं कर पाये, लाल किले की प्राचीर से इन 84 करोड़ असंगठित मजदूरों को गुलामी से आजाद कराने की बात नहीं करते, बस देश के नौजवानों को व जनता को 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने के सब्जबाग के अलावा कुछ नहीं दिखा सके बशर्ते नफरत के, देश का 84 करोड़ असंगठित मजदूर 75 साल पहले और 75 सालों के बाद आज भी गुलाम है, आखिर क्यों ? इनको लेकर क्योंकर विचार नहीं किया गया, जबकि देश के भीतर सारे संसाधन मौजूद हैं, फिर भी इन्हे गुलामी से आजादी क्यों नहीं दिलायी गयी ? क्योंकर देश के 5% लोगों तक ही आजादी सीमित है, क्या देश के राजनेता इसका जवाब देंगे ? क्योंकर आज भी लोगों को इस बात का मलाल है कि गरीब दिन-ब-दिन गरीब हो रहा है और अमीर दिन-ब-दिन अमीर होता जा रहा है…क्यों ?
अखिल भारतीय श्रमिक पार्टी….
आप सभी मित्रों से निवेदन है कि आप हमारे संगठन के सक्रिय सदस्य बने व अपने क्षेत्र में सक्रिय सदस्य बनायें, और अपनी व अपनों के साथ ही क्षेत्र की जनता की आवाज को सरकार तक पहुँचायें, ताकि समस्याओं का समाधान सभी को मिल सके।
दोस्तों मेरे मन में टीस है, और जानने के बाद सायद आपके भी मन में टीस उठे कि जब हमारे देश के ‘प्रधान सेवक’ व उनके सिपेसलार एक देश एक विधान, एक झंडे की बात करते हैं तो श्रमिकों को लेकर उनके उत्थान की बात क्यों नहीं करते हैं, क्योंकर आज भी हमारे राजनेता संगठित और असंगठित के बीच की खांई को पाट नहीं सके, आज भी हमारे देश के विधान विशेषज्ञ इस पर कोई कानून बनाने में दिलचस्पी लेते नजर नहीं आये ? क्योंकर मजदूर (श्रमिक) को संगठित और असंगठित के दायरे में उलझाये हुए हैं, जैसे तराजू के एक पलडे़ में संगठित और दूसरे में असंगठित को झुला रखा है, एक को फण्ड, बीमा, पेंशन आदि की सुविधा दूसरे को ठन-ठन गोपाल, इतना ही नहीं साथ ही मंहगाई भत्ता भी! वहीं दूसरे से जी तोड़ मेहनत और मेहनताना सिर्फ दो जून की रोटी तक सीमित, तो ऐसा क्यों ? तो क्योंकर इसे भी समता के अधिकार के अनुरुप एक ही व्यवस्था प्रदान की गयी? क्या ये इसके हकदार नहीं ? जरा गौर अवश्य करें, और कोई सुझाव हो तो अवश्य दें कि क्या इस विषय पर बहस नहीं होनी चाहिये ?
नोट:- 1- क्या आप जानते हैं कि देश में कुछ प्रतिशत (17%) लोग ही संगठित क्षेत्र के मजदूर (श्रमिक) की श्रेणी में आते हैं परंतु एक बहुत ही बडा़ वर्ग (83%) या कहें हिस्सा असंगठित क्षेत्र का है जिसमें लगभग 84 करोड़ लोगों की भागीदारी है, जिन्हे अधिक श्रम के बदले कम भुगतान दिया जाता है़…. आखिर क्यों ? न बीमा न पेन्शन क्यों ? क्यों कर 65 सालों की पिछली सरकारों ने या 10 साल से आसीन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया, क्या इन्हे संगठित करने के इनके पास कोई उपाय नहीं है ? क्या आपको नहीं लगता की ये सारी सुबिधायें आपको मिलनी चाहिये ? क्या आप इसके हकदार नहीं हैं ? क्या ये आवाज बुलंद नहीं की जानी चाहिये ? यदि आपको लगता है कि आपका शोषण बंद होना चाहिये, आपके हक के लिये लड़ाई हम लड़ेंगे क्या आप हमारे साथ है? तो आज ही संगठन के साथ आप सभी भारी से भारी संख्या में जुडे़, ताकि आप अपना हक पा सकें जो आपका अधिकार है।
क्या आपको पता है इससे कौन-कौन लोग वंचित हैं ?
जैसे: प्राइवेट छोटे-बडे़ संस्थान जिनमे ये कार्यरत हैं, (प्राइवेट शिक्षण संस्थान, प्राइवेट चिकित्सा संस्थान, प्राइवेट कंपनियों के वर्कर, भवन निर्माण कार्य से जुड़े हुए लोग , ड्राईवर, चौकीदार (वॉचमैन), कोल्ड स्टोरेज में कार्य करने वाले लोग, ईंट भट्टा में काम करने वाले लोग, मॉल में कार्यरत कर्मचारी व सेल्समैन, होटल व रेस्टोरेंट वर्कर, ऑन लाईन डिलीव्हरी ब्यॉय, घरों में व दुकानों तथा ऑफिसों में काम करने वाले व सफाई कर्मचारी पुरुष व महिलांए इत्यादि ऐसे सभी व्यक्ति शामिल हैं जो असंगठित क्षेत्र में आते हैं)
मित्रों क्या आप चाहते हैं कि हमारे देश के लोगों का उत्थान होना चाहिये? तो इसके लिये किसे प्रयास करना पडे़गा हमें स्वतः… क्योंकि जब हमें भूख लगती है तो लाख थाली में खाना परस कर रखा हुआ हो लेकिन निवाला हमें खुद तोड़ कर खाना होता है… तो इस लिये हमें अपने उत्थान के लिये खुद मार्ग प्रसस्त करना होगा…. हमें एक जुट होकर इसकी लडा़ई खुद लड़नी होगी कोई दूसरा हमारी लडा़ई नहीं लडे़गा।
आप सभी पाठकों व देश के नौजवानों से आपील है कि वो इसे अपने साथियों तक पहुँचाये साथ ही मुहिम का हिस्सा बनें व इस मुहिम से जुड़ने के लिये अपने मित्रों को भी प्रेरित करें ताकि देश का युवा एक बार फिर से पूर्ण आजादी का संकल्प लेकर इस मुहिम को आगे की ओर अग्रसर करे व बढ़े ।
धन्यवाद
श्रमिक एकता जिंदाबाद…..
अबाउट अस – (about us) https://absp.mannetwork.in/