कर्नाटक विधानसभा में गुरुवार को मुदा घोटाले को लेकर भाजपा और जदएस के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया। इसके चलते विधानसभा सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। वहीं हंगामे के चलते बिना किसी चर्चा के छह विधेयक पारित कर दिए गए। इसके बाद भाजपा समेत अन्य विपक्षी दलों के विधायकों ने राजभवन तक मार्च निकाला और राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मुलाकात कर मुदा घोटाले की शिकायत की।
कर्नाटक विधानसभा में गुरुवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद विपक्षी भाजपा और जद एस के विधायकों ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा किए गए जमीनों के फर्जी आवंटन पर चर्चा की मांग की। इसके बाद सदस्य हंगामा करने लगे और वेल में आ गए। इस पर विधानसभा अध्यक्ष अध्यक्ष यूटी खादर ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की। इस मुद्दे पर विधान परिषद में भी हंगामा हुआ। जिस पर उपसभापति एमके प्राणेश ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
वहीं विधानसभा में हंगामे के बीच कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच के पाटिल ने छह नए विधेयकों की जानकारी दी। इसमें कर्नाटक एससी-एसटी और ओबीसी को नियुक्तियों में आरक्षण संशोधन विधेयक 2024, कर्नाटक भूमि राजस्व (दूसरा संशोधन) विधेयक 2024, कर्नाटक प्राचीन, ऐतिहासिक स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष (संशोधन विधेयक) 2024, कर्नाटक सरकार पार्क (संरक्षण) (संशोधन) विधेयक 2024, श्री रेणुका येलम्मा मंदिर विकास प्राधिकरण विधेयक 2024, और कर्नाटक चिकित्सा पंजीकरण और कुछ अन्य कानून (संशोधन) विधेयक 2024 को पारित किया गया।
वहीं विधानसभा और विधान परिषद सत्र स्थगित होने के बाद भाजपा विधायकों ने गुरुवार को राजभवन तक मार्च निकाला। विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सत्ताधारी कांग्रेस ने दोनों सदनों में मुदा घोटाले का मुद्दा उठाने नहीं दिया। भाजपा नेताओं ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत को घोटाले की जानकारी देते हुए ज्ञापन सौंपा। भाजपा नेता अशोक ने आरोप लगाया कि मुदा घोटाले में सीएम सिद्धरमैया खुद भी शामिल हैं। इसलिए मुद्दे को विधानसभा में उठाने नहीं दिया गया। कर्नाटक सरकार भ्रष्टाचार में डूबी है। महर्षि वाल्मीकि निगम घोटाले में कांग्रेस के विधायक और मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं और इस वक्त ईडी की हिरासत में हैं। अब एक और और विधायक का जेल जाना तय है।